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Manipur:मणिपुर में हिंसा रोकने का कारगर तरीका हो सकता है ‘356’, बन सकता है बैलिस्टिक शील्ड

Presidential rule through Article 356 may prove ballistic shield to stop killings in Manipur

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : Social Media

विस्तार


मणिपुर में तीन मई से शुरू हुई हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। हालांकि, बीच में केंद्र सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि अब वहां पर हत्याएं नहीं हो रही हैं, लेकिन बीच-बीच में ऐसी घटनाएं जारी हैं। मंगलवार सुबह कांगपोकपी जिले में तीन लोगों को गोली मार दी गई। तीनों व्यक्ति कुकी समुदाय से बताए गए हैं, जो एक वाहन में सवार थे। इरेंग नागा गांव के निकट उपद्रवियों ने उन पर हमला कर दिया।

मणिपुर हिंसा में मारे जाने वाले लोगों की संख्या लगभग दो सौ तक जा पहुंची है। दूसरी तरफ राज्य में तैनात सुरक्षा बलों के बीच भी तनाव पैदा हुआ है। कई दफा सुरक्षा बल, एक दूसरे के आमने-सामने आ चुके हैं। बीएसएफ के पूर्व एडीजी एसके सूद कहते हैं, मणिपुर की हिंसा अब कंट्रोल से बाहर जाती दिख रही है। वहां पर आर्मी है, असम राइफल है, सीएपीएफ है और मणिपुर पुलिस है, मगर हिंसा थम नहीं रही है। अगर वाकई मणिपुर में हिंसा को रोकना है, कानून व्यवस्था स्थापित करनी है तो उसके लिए अनुच्छेद ‘356’ का इस्तेमाल ‘बैलिस्टिक शील्ड’ बन सकता है।

शांति स्थापना के लिए बफर जोन सफल नहीं…

पूर्व एडीजी एसके सूद के मुताबिक, दूसरे राज्यों की तरह मणिपुर भी भारत का ही अभिन्न हिस्सा है। केंद्र सरकार को अभी तक वहां पर शांति स्थापित कर देनी चाहिए थी। तीन मई को शुरू हुई हिंसा, अभी तक थम नहीं सकी है। लोग मारे जा रहे हैं। सुरक्षा बलों पर हमले जारी हैं। पिछले कुछ समय से मणिपुर में जो हालात देखने को मिल रहे हैं, वे बहुत खतरनाक हैं। दो समुदायों के बीच बफर जोन बनाकर शांति स्थापित करने का जो प्रयास किया गया, वह सफल नहीं हो सका है। इसके बावजूद हत्याएं हो रही हैं।






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Author: newtraffictail

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