लखनऊ। मप्र के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और सपा अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुकी हैं। इंडिया गठबंधन के बनने के बाद ऐसा लगने लगा था कि यह दोनों पार्टियां वोटों का बंटवारा रोकने के लिए चुनावी समझौता कर सकती है लेकिन चुनावी समझौता तो नहीं हुआ बल्कि इन दोनों पार्टियों के बीच तल्खी बढ़ गई है। आलम ये है कि राहुल गांधी को अखिलेश यादव को फोन करना पड़ा।
सूत्रों के अनुसार राहुल और अखिलेश की बात के बाद ये साफ हो गया कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए है ना कि राज्यों के चुनावों के लिए, लेकिन दोनों पार्टियों के नेताओं को एक-दूसरे के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए जो आपस में तल्खी पैदा कर रही हैं और बीजेपी को अवसर दे रही हैं। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस और सपा दोनों ही मप्र सहित किसी भी राज्य के चुनाव में किसी तरह की सीट शेयरिंग पर बात नहीं करने जा रहे हैं। पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद जब देश में आम चुनावों की तैयारी शुरू हो जाएंगी तब यह दोनों पार्टियां एक दूसरे से लोकसभा चुनावों पर चर्चा करेंगी।
कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी अब मप्र के चुनावों को लेकर गंभीर हो गई है और करीब 33 सीटें ऐसी हैं जहां सपा ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। वहीं सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि इस विवाद के बाद सपा अपने प्रत्याशियों की संख्या बढ़ा सकती है। 50 ऐसी सीटें हो सकती हैं जहां से सपा अपने उम्मीदवार खड़े कर सकती है। राजनीतिक जानकार यह बात कहते हैं कि सपा इतनी सीटों पर अपना प्रभाव नहीं रखती है लेकिन इस विवाद के बाद वह जरूर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाना चाहेगी।
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