संजीव
इस बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक का चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है। चुनाव में भारतीय उम्मीदवार नहीं होने के बावजूद भारत की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है। भारत के सामने धर्मसंकट यह है कि इस पद के दोनों उम्मीदवार भारत के करीबी मित्र देश क्रमशः बांग्लादेश और नेपाल से हैं। ऐसे में भारत के लिए कोई फैसला करना आसान नहीं होगा।
भारतीय मूल की पूनम खेत्रपाल सिंह इस समय डब्लूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया (एसईएआरओ) की क्षेत्रीय निदेशक हैं, जो 2014 से इस पद पर हैं। वे इस पद को संभालने वाली पहली महिला हैं। 2018 में उन्हें सर्वसम्मति से दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया था। पांच साल के कार्यकाल वाले इस पद के चुनाव के लिए दिल्ली में 30 अक्टूबर से 2 नवंबर को बंद कमरे में सदस्य देशों की बैठक होगी। इसमें भारत सहित 11 देश बांग्लादेश, भूटान, उत्तर कोरिया, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाइलैंड और ईस्ट तिमोर के स्वास्थ्य मंत्री मतदान करेंगे। यह मतदान गोपनीय होगा।
इस पद के लिए दो उम्मीदवार हैं- बांग्लादेश की सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ साइमा वाजेद और विश्व स्वास्थ्य संगठन के वरिष्ठ अधिकारी रहे नेपाल के शंभु प्रसाद आचार्य। दोनों ही उम्मीदवारों की तरफ से चुनाव में बहुमत जुटाने की पुरजोर कोशिशें लगातार जारी हैं। मतदान में हिस्सा लेने वाले देशों से संपर्क साधा जा रहा है।
साइमा वाजेद
साइमा वाजेद सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के साथ बांग्लादेश की मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना की बेटी हैं। साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल करने वाली साइमा का ऑटिज्म में स्पेशलाइजेशन भी है। हालांकि उनकी दावेदारी पर वंशवाद के आरोप लगाए गए। दुनिया भर के 60 से अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डब्लूएचओ को पत्र लिख कर क्षेत्रीय निदेशक के चयन में पूरी पारदर्शिता बरतने की अपील की है।
साथ ही उम्मीदवारों की शिक्षा एवं योग्यता की पूरी कठोरता से जांच की मांग की गई है। हालांकि पत्र में किसी उम्मीदवार का नाम नहीं लिया गया है। साइमा अगर जीतती हैं तो वे बांग्लादेश की तरफ से दूसरी क्षेत्रीय निदेशक होंगी। उनसे पहले बांग्लादेश के सैयद मुदस्सर अली इस पद पर रह चुके हैं।
शंभु प्रसाद आचार्य
नेपाल की तरफ से इस पद के उम्मीदवार डॉ. शंभु प्रसाद आचार्य सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में पीएचडी धारक हैं। उन्होंने डब्लूएचओ के साथ करीब 30 वर्षों तक काम किया है। डॉ. आचार्य डब्लूएचओ के जेनेवा मुख्यालय में महासचिव कार्यालय में कंट्री स्ट्रैटिजी एंड सपोर्ट के डायरेक्टर हैं। उन्होंने अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए पिछले दिनों काठमांडू में एसईएआरओ के सदस्य देशों के राजदूतों की बैठक में सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी के लिए रूप में अपनी सेवाओं एवं अनुभव पर प्रजेंटेशन देते हुए चुनाव के लिए सहयोग व समर्थन मांगा। वे डब्लूएचओ अधिकारी के रूप में 1992-1997 तक ढाका एवं 1997-1999 तक दिल्ली में सेवाएं दे चुके हैं।
क्या होगा भारत का रुख
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देश हैं और यह संगठन छह क्षेत्रों अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी भूमध्यसागर, वेस्टर्न पैसिफिक और अमेरिका में बंटा हुआ है। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में आने वाले भारत का इस संगठन में विशेष महत्व रहा है। खासतौर पर वैक्सीन डिप्लोमेसी के नजरिये से।
इस पद पर भारत अपने उम्मीदवार को लेकर पिछली बार सर्वसम्मति बनाने में सफल रहा था लेकिन इस बार भारत के सामने बांग्लादेश और नेपाल में किसी एक को चुनने की मुश्किल पहेली है। अभी तक अपना उम्मीदवार होने के नाते भारत के सामने ऐसी दुविधा नहीं थी लेकिन अब बदली हुई परिस्थिति है। हालांकि ऐसी उम्मीद की जा रही है कि भारत इस मामले में बांग्लादेश के साथ जा सकता है। हालांकि ऐसा करते हुए देखना यह है कि भारत, नेपाल को किस तरह संतुष्ट करता है।
(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
इसे भी पढ़ें-मोदीवाद की धुरी में विकासवाद
इसे भी पढ़ें-कितने शरीफ हैं नवाज शरीफ