गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘बायोनेचर कॉन-2023’ का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा, विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों या अन्य शिक्षण संस्थानों को टापू या तटस्थ बने रहने की बजाय समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उच्च शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि वे समाज की व्यावहारिक आवश्यकताओं के अनुरूप अध्ययन का दायरा बढ़ाएं। साथ ही व्यावहारिक जरूरतों को समझने के लिए सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान पर निर्भर रहने की बजाय फील्ड में अनुभव हासिल करने और रिसर्च पर ध्यान केंद्रित करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नवाचार और अनुसंधान से तटस्थ होने की वजह से भारत पिछड़ गया था और यहां के शिक्षण संस्थान डिग्री बांटने तक ही सीमित रह गए। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले नौ सालों में इस दिशा में सुधार के प्रयास किये गए जिसके अब सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, दुनिया में प्राकृतिक संसाधनों से पारंपरिक चिकित्सा भारत की देन है। वर्तमान समय मे इसे आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने कई विभागों के बीच आपसी समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि आपसी आयुर्वेद, फार्मेसी, बायो केमिस्ट्री, कृषि जैसे कई विभागों के समन्वय से प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा को एक नई ऊंचाई मिल सकती है। उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़े लोग प्राकृतिक संसाधनों से औषधि बनाने के क्षेत्र में बहुत योगदान दे सकते हैं।
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