नई दिल्ली। भारत को मालदीव से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के लिए कहने के एक महीने के भीतर ही राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार को भारत को एक और बड़ा झटका दिया है। मुइज्जु सरकार ने फैसला लिया है कि मालदीव के क्षेत्रीय जल का हाइड्रोग्राफिक सर्वे करने का समझौता अब आगे रिन्युअल नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि ये समझौता 8 जून, 2019 को हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के आमंत्रण पर मालदीव का विजिट किया था। इस समझौते तहत भारत को मालदीव के क्षेत्रीय जल, अध्ययन और चार्ट रीफ, लैगून, समुद्र तट, महासागर धाराएं और ज्वार के स्तर का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण (जल सर्वेक्षण) करने की इजाजत दी गई थी। बता दें कि यह पहला द्विपक्षीय समझौता है जिसे नवनिर्वाचित मालदीव सरकार आधिकारिक तौर पर खत्म करने का निर्णय लिया है।
भारत को दी गई है सूचना
मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति के सचिव मोहम्मद फ़िरुज़ुल अब्दुल खलील ने गुरुवार (14 दिसंबर) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मुइज्जू सरकार ने हाइड्रोग्राफिक समझौते को आगे रिनुअल नहीं करने का फैसला किया है। इस समझौत की अवधि 7 जून, 2024 को समाप्त हो रही है। उन्होंने आगे कहा, “इस समझौते की शर्तों के अनुसार, अगर एक पक्ष समझौते को छोड़ना चाहता है, तो समझौते की समाप्ति से 6 महीने पहले दूसरे पक्ष को इस निर्णय के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
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