नई दिल्ली। दिल्ली कैंट के आर्मी हॉस्पिटल आर एंड आर (AHRR) में हेमेटोलॉजी एंड स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन विभाग के डॉक्टरों कमाल कर दिया है। यहां के डॉक्टरों ने भारत में पहली बार सात वर्षीय बच्चे सुशांत पौडेल का बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) किया है। इस सफल ट्रांसप्लांट ने इसी बीमारी से जूझ रहे देश के तमाम बच्चों और उनके परिवारों के लिए भी उम्मीद की कारण दे दी है। दरअसल, ये एक दुर्लभ इम्यूनोडिफीसिअन्सी डिसऑर्डर है, जिसमें सेना के चिकित्स्कों को पहली बार सफलता मिली है।
इस सफलता से गदगद सेना अस्पताल के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल अजित नीलकांतन ने बताया कि सिपाही प्रदीप पौडेल का सात वर्षीय बेटा सुशांत अक्सर बीमार रहता था। चिकित्सीय जांच में पता चला कि एक साल की उम्र में ही वह एआरपीसी1बी से ग्रसित है, जो दुर्लभ इम्यूनोडेफिशियेंसी डिसऑर्डर है। उन्होंने कहा, यह एक ऐसी स्थिति है, जिसने उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया था। इस वजह से उसे बार-बार जीवन-घातक संक्रमण और अन्य जटिलताओं का सामना करने का खतरा हो गया था।
उसे छह महीने पहले आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) में रेफर किया गया था, लेकिन उनके पास मैचिंग सिबलिंग डोनर उपलब्ध नहीं था, इस पर अस्पताल की हेमेटोलॉजी विभाग की टीम ने उसके लिए के उपयुक्त डोनर तलाशने का काम शुरू किया। डोनर मिलने के बाद 30 नवंबर को उसकी स्वस्थ स्टेम कोशिकाओं को निकाला गया और उन स्टेम सेल्स को सुशांत पौडेल के ब्लड में ट्रांसप्लांट किया गया। इसके बाद कीमोथेरेपी की हाई डोज देकर सुशांत की दोषपूर्ण कोशिकाओं को नष्ट कर दिया गया। ये सब करने के बाद सुशांत पौडेल अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
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