वाराणसी। दो दिवसीय दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यात्रा के दूसरे दिन यानी सोमवार को स्वर्वेद महामंदिर का लोकार्पण किया। ये मंदिर 5 करोड़ की लागत से बनाया गया है। मंदिर के लोकार्पण के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा- भारत को कमजोर करने के लिए सबसे पहले प्रतीकों को ही निशाना बनाया गया था।
उन्होंने कहा जब मैंने स्वर्वेद महामंदिर का दौरा किया तो मैं मंत्रमुग्ध हो गया… इस मंदिर में वेदों, उपनिषदों, रामायण, गीता और महाभारत की दिव्य शिक्षाओं को दीवारों पर चित्रों के माध्यम से चित्रित किया गया है.., जो बेहद अद्भुत है। उन्होंने कहा, भारत की आध्यात्मिक संरचनाओं के आसपास ही हमारी शिल्प और कला ने अकल्पनीय ऊंचाइयों को छुआ है। यहां से ज्ञान और अनुसंधान के नए मार्ग प्रशस्त हुए हैं।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ये भी कहा है कि देश में राम सर्किट के विकास के लिए भी तेजी से काम चल रहा है। आने वाले कुछ सप्ताह में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी पूरा हो जायेगा और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भी हो जाएगी। उन्होंने आगे कहा- काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता भारत के अविनाशी वैभव की गाथा गए रही है। आज महाकाल महालोक हमारी अमरता का प्रमाण दे रहा है। वहीं बाबा केदारनाथ धाम भी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इसके अलावा बुद्ध सर्किट का विकास करके भारत एक बार फिर दुनिया को बुद्ध की तपोभूमि पर आमंत्रित कर रहा है।
उन्होंने कहा यदि हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को सम्मान देते तो देश के अंदर एकजुटता और आत्मसम्मान का भाव भी मजबूत होता, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। आजादी के बाद जब सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण किया जाने लगा तब कुछ लोगों ने इसका जमकर विरोध किया। गया था और ये सोच दशकों तक देश पर हावी रही। आजादी के 7 दशक बाद आज समय का चक्र एक बार फिर घूमा है और अब देश लालकिले से गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व की घोषणा कर रहा है. जो काम सोमनाथ से शुरू हुआ था, वो अब एक अभियान बन गया है।
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