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मायावती के उत्तराधिकरी तो बन गए आकाश, लेकिन कैसे निपटेंगे चुनौतयों से

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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक और दलितों के नेता कांशीराम ने अपनी संकल्प यात्राओं के जरिए पार्टी की जमीनी पकड़ को मजबूत किया था, लेकिन मायावती ने पार्टी की कमान संभालते हुए यात्राओं को रैलियों का रूप दे दिया, लेकिन अब उनके भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर 28 वर्षीय आकाश आनंद कांशी राम के नक्शे कदम पर चलते नजर आ रहे हैं। दरअसल, आकाश आनंद ने विधानसभा चुनाव से पहले पदयात्राओं और प्रदर्शनों का आयोजन न करने की पार्टी की सामान्य रणनीति से हटकर 16 अगस्त को राजस्थान के धौलपुर से 14 दिवसीय संकल्प यात्रा की शुरुआत की थी। इसके बाद से ये कयास लगाया जाने लगा कि मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को किसी बड़ी जिम्मेदारी के लिए तैयार कर रही हैं। वहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनाव में जब बसपा का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा तो मायावती ने बिना देर किए झटपट आकाश को अपना उत्तराधिकारी बना दी।

उल्लेखनीय है कि मायावती ने बीते 10 दिसंबर को लखनऊ के माल एवेन्यू स्थि‍त पार्टी कार्यालय में वरिष्ठ नेताओं की बैठक की थी जिसमें उन्होंने ऐलान किया कि उनके न रहने पर उनके भतीजे आकाश ही पार्टी की कमान संभालेंगे। इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो ने आकाश को उन राज्यों में संगठन को मजबूत करने का जिम्मा सौंपा है, जहां पार्टी कमजोर स्थिति में है। हालांकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी मायावती ने खुद ही ली है। हालांकि राजनीति के जानकार मायावती के इस दांव को पार्टी के भीतर विश्वसनीय और प्रभावी नेताओं की कमी के प्रतिफल के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि परिवार से किसी को भी उत्तराधिकारी न बनाने की बात करने वाली मायावती ने भतीजे को पार्टी का उत्तराधिकारी ऐलान कर अपने दलित वोट बैंक से एक भावनात्मक संबंध जोड़ने की कोशिश की है, लेकिन पार्टी के दूसरे नेता ऐसा कोई संबंध विकसित करने में विफल साबित हुए हैं।’

गौरतलब है कि कई वर्षों से आकाश आनंद को मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकरी के रूप में पेश किया जा रहा था। मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश ने नोएडा और गुरुग्राम से स्कूली शि‍क्षा हासिल करने के बाद 2013 से 2016 के बीच लंदन की यूनिवर्सिटी ऑफ प्लीमथ से बीबीए किया। इसके बाद वह भारत वापस आ गए और 29 मई, 2017 को सहारनपुर में हुई हिंसा प्रभावित इलाकों का हाल जानने पहुंचीं मायावती के साथ पहली बार आकाश भी नजर आये। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले आकाश राजनैतिक रूप से अधिक सक्रिय हो गए और उन्हें अपनी बुआ मायावती को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्विटर’ (अब ‘एक्स’) पर लाने का श्रेय दिया जाता है।

इसके बाद साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की तरफ से मायावती के प्रचार पर 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगाने के एक दिन बाद, 16 अप्रैल, 2019 को आकाश मंच पर आए और आगरा में अपनी पहली रैली आयोजित की। इस मंच पर उनके साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव और तत्कालीन रालोद अध्यक्ष अजित सिंह भी शामिल हुए थे। इसी जनसभा से आकाश ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। इसके बाद आकाश मायावती के साथ अधिकतर कार्यक्रमों में नजर आने लगे। 9 अक्तूबर, 2021 को हरियाणा के अंबाला में बसपा के संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस के मौके पर उन्होंने कहा था, “कांशीराम आज हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनके विचार हमें आज भी प्रेरणा देते हैं।”

वहीं अब नई भूमिका के तौर पर आकाश के सामने यूपी-उत्तराखंड से इतर दूसरे राज्यों में पार्टी का संगठन मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी है। राजनीतिक जानकर बताते हैं कि “बसपा के पास विश्वसनीय नेताओं का अभाव है और जमीनी काडर भी सुस्त है, लगभग हर राज्य में दलितों के बीच एक नया युवा नेतृत्व उभर रहा है, इन्हें बसपा की तरफ लाने के लिए आकाश को उसी मिशनरी मोड में काम करना होगा, जैसे कांशीराम करते थे,”

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Author: nyaay24news

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