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अखिलेश के लिए मुसीबत बने स्वामी प्रसाद मौर्य, ब्राह्मण सम्मेलन में ब्राह्मणों में जताई नाराजगी

akhilesh yadav

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी के मुखिया अखिलेश यादव लंबे समय से बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि पीडीए के इतर भी उन्होंने अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने की कवायद तेज कर दी है। एक तरफ तो पार्टी पीडीए यानी पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक समाज को अपने वोट बैंक से जोड़ने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ वह बीजेपी के वोट बैंक में भी सेंधमारी करने की कोशिश कर रही है।

गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के गठन के बाद मुलायम सिंह यादव ने इसके कोर वोट बैंक के रूप में मुस्लिम और यादव समाज को स्थापित किया था। माय समीकरण सपा के साथ बना रहा तो पार्टी प्रदेश में मजबूत बनी रही, लेकिन, वर्ष 2014 में ओबीसी की राजनीति को देश के स्तर पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने कैच कर लिया जबकि समाजवादी पार्टी माय समीकरण तक सिमटी रही। आलम ये रहा कि भाजपा ने ओबीसी, सवर्ण और दलित वर्ग के बीच अपनी मजबूत पैठ बना ली जिससे भाजपा का वोट बैंक इतना बड़ा हो गया कि सपा के लिए उसे पार कर पाना टेढ़ी खीर साबित होने लगा। वहीं मौजूदा समय में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी सपा को भाजपा से तो निपटना ह है। साथ ही, उन्हें पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयानों से भी निपटना है।

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने लगातार ब्राह्मणों और हिंदू समाज के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। हिंदू देवी- देवताओं और धार्मिक ग्रंथों के खिलाफ बोलकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक अलग ही माहौल तैयार कर दिया है। माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के इन बयानों से समाजवादी पार्टी दलित समाज को जोड़ने में में तो कामयाब हो जाएगी लेकिन उनके रामचरितमानस विवाद , बद्रीनाथ धाम या फिर राम मंदिर पर दिए गए बयान ने हिंदू वर्ग को नाराज कर दिया है। साधु- संतों को लेकर दिए गए उनके बयानों ने भी आक्रोश बढ़ाया है। स्वामी प्रसाद के बयानों के मामले को पार्टी के फोरम पर उठाने को कोशिश की गई लेकिन, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हमेशा पार्टी नेताओं को ही चुप कराते रहे हैं। यहां तक कि दो महिला नेताओं को पार्टी से बाहर तक कर दिया। रामचरितमानस विवाद के बाद सीनियर नेताओं ने स्वामी के बयानों को निजी करार दिया, लेकिन, पार्टी के स्तर पर कोई कार्रवाई न किए जाने को लेकर लोगों का आक्रोश बढ़ा हुआ है जो अब अखिलेश यादव के सामने भी आ गया है।

गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से ही ब्राह्मण वोट बैंक को साधने में लगी हुई है, लेकिन यूपी चुनाव 2022 में पार्टी को इससे कोई खास लाभ नहीं मिला था। अब 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सपा एक बार फिर ब्राह्मणों को साधने की कवायद कर रही है। इसको लेकर ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है। वहीं कन्नौज में ब्राह्मण सम्मेलन के दौरान अखिलेश के सामने अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई , जब इस बैठक में ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों ने अखिलेश के सामने ही स्वामी प्रसाद के बयान का मुद्दा उछाल दिया और अपनी नराजगी जाहिर की। इस पर सपा मुखिया ने कहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के इस प्रकार के बयानों पर अंकुश लगाया जाएगा। हालांकि, अखिलेश इस पर कितना अमल करेंगे? देखना दिलचस्प रहेगा।

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