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अपराध माना जाये परिवार में बुजुर्गों का उत्पीड़न

neglect of senior citizens

मौजूदा समय में परिवार में बजुर्गों की उपेक्षा आम बात हो गई है। उन पर अत्याचार बढ़ने लगे हैं। बच्चे अपने ही माता-पिता को बोझ समझने लगे हैं। आलम ये है कि पढ़े लिखे संपन्न परिवारों के बूढ़े-बुजुर्ग वृद्धा आश्रमों में रहने या फिर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। वहीं कुछ लोग जब ये उपेक्षा, प्रताड़ना और उत्पीड़न नहीं झेल पाते हैं तो वे आत्महत्या जैसा वीभत्स कदम उठा लेते हैं। कुछ महीने पहले यानी मई माह में हरियाणा के दादरी में एक संपन्न परिवार द्वारा सताए गए बुजुर्ग माता-पिता की आत्महत्या की घटना आज के पढ़े लिखे समाज को शर्मिंदा करने वाली है क्योंकि जिस देश की संस्कृति में आपके माता-पिता ही नहीं, बल्कि हरेक बुजुर्ग वंदनीय है वहां उम्रदराज लाचारों पर बढ़ते इस तरह के अत्याचार की घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आपको बता दें कि दादरी में करीब 80 वर्ष की उम्र के बुजुर्ग दंपति ने ख़ुदकुशी कर ली और इसके लिए उन्होंने अपने ही बच्चों को जिम्मेदार ठहराया।

बुजुर्ग ने सुसाइड नोट में लिखा कि उनके बच्चे उन्हें दो वक्त का खाना तक नहीं देते थे। सुसाइड नोट को पढ़ने के बाद ये कहना गलत न होगा कि ये आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या का है। इस केस में बुजुर्ग दंपति के बच्चों पर उत्पीड़न से जुड़ी यथासंभव तमाम धाराएं लगनी चाहिए और उसे के मुताबिक उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। इस केस में आरोपियों के प्रति किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि बुजुर्ग माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी परिजनों पर तय करने के लिए मेंटेनेंस ऐंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स ऐंड सीनियर सिटिजन एक्ट-2007 बना हुआ है लेकिन यह कानून गैर-अपराध वर्ग में होने की वजह से बुजुर्गों के हितों की रक्षा करने में कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि परिवारों में बुजुर्गों की उपेक्षा और आत्महत्या के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है।

अगर समय रहते इस पर लगाम न लगाई तो आने वाले समय में परिणाम बेहद घातक हो जायेंगे। आज के समय में इससे बड़ा अपराध क्या हो सकता है कि बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को दो वक्त की रोटी न दें। बच्चों में घर करती ऐसी सोच परिवार के बुजुर्गों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। आज जरूरत है कि बुजुर्गों के संरक्षण के लिए बनाई गई मेंटेनेंस ऐंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स ऐंड सीनियर सिटिजन एक्ट में संशोधन किया जाये। इसमें मां-बाप या वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा,उत्पीड़न करने वालों पर संगीन अपराध धाराएं लगाई जाएं और आरोपी को सख्त सजा दी जाये। मौजूदा समय में इस कानून में सिर्फ इतना प्रावधान है कि कोई बेटा या बेटी अपने मां-बाप को प्रताडि़त करता है तो वे उसे अपनी धन-संपदा से बेदखल कर सकते हैं। इसे उत्तर प्रदेश समेत कुछ राज्यों ने लागू किया है, लेकिन उतना कारगर साबित नहीं हो रहा है जितना होना चाहिए।

आज जरूरत है नियम स्पष्ट करने की, कि अगर कोई अपने माता-पिता की सेवा नहीं करता तो उसके खिलाफ आपाराधिक मामले की तर्ज पर कार्रवाई कि जाएगी।  जिस तरह से बच्चों के उत्पीड़न के मामले में आपराधिक कार्रवाई का प्रावधान है, उसी तर्ज पर बुजुर्गों के उत्पीड़न के मामले में भी आपाराधिक कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए। आपको बता दें कि वर्तमान समय में केंद्र और राज्यों के स्तर पर जो भी कानून बने हैं, वे सामान्य श्रेणी के हैं लेकिन अब समय आ गया है कि उन्हें आपराधिक श्रेणी में रखा जाये। इससे मसला हल नहीं होता कि मां-बाप की उपेक्षा, उत्पीड़न करने वालों को प्रापर्टी में हिस्सेदारी नहीं मिलेगी या कोई और शर्त लगा दी जाए। दहेज की मांग या दहेज की वजह से हत्या के मामले जब अपराध की श्रेणी में हैं तो माता-पिता की सेवा न करना आपराधिक मामला क्यों नहीं होना चाहिए?

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