नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। सूर्य का अध्ययन करने निकला पहला अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला आदित्य-एल1 अब पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर स्थित अपने अंतिम गंतव्य कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया है। आदित्य एल यहां दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा। आपको बता दें कि भारत के इस पहले सूर्य अध्ययन अभियान को इसरो ने 2 सितंबर को लॉन्च किया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को लगभग 4 बजे अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल 1) में स्थापित कर दिया गया। एल1 बिंदु पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को ट्वीट कर इसरो को बधाई दी। उन्होंने लिखा- मून वॉक से लेकर सन डांस तक भारत के लिए यह साल कितना शानदार रहा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो की इस सफलता पर ख़ुशी जताई है और उसे बधाई दी है।
पीएम ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि ‘भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई। सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। यह असाधारण उपलब्धि सराहना योग्य है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। उन्होंने आगे कहा कि वह इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में देश के साथ शामिल हैं।
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