कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अपनी न्याय यात्रा कंप्लीट की। इससे पहले उन्होंने कन्याकुमारी से लेकर जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा की थी। वहीं अभी हाल ही में कांग्रेस ने यूपी जोड़ो यात्रा भी निकाली थी। राहुल की इन सभी यात्राओं को आने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि ये यात्रायें कांग्रेस की डूबती नैया को कितना पार लगाएंगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। वहीं 14 जनवरी से शुरू होने वाली राहुल की ये न्याय यात्रा 8 महीना से हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर की राजधानी इंफाल निकलेगी और 20 मार्च को मुंबई में खत्म होगी। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी देश के 110 ज़िलों, 100 लोकसभा और 337 विधानसभा सीटों से गुजरते हुए 6700 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पैदल व बस से तय करेंगे। राहुल की ये यात्रा इसी साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए बेहद अहम मानी जा रही है। एक तरफ राहुल गांधी यात्राएं निकालकर जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ भाजपा 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का भव्य स्तर पर आयोजन रही है। बीजेपी इस आयोजन के जरिये हिंदू भावनाओं को उभार कर उन्हें वोटों में तब्दील करने की भी पुरजोर कोशिश करने में जुटी है। इसके साथ ही वह इस बार ‘मोदी सरकार, तीसरी बार, अबकी बार 400 पार’ का नारा देकर चुनाव मैदान में उतर रही है। वहीं केंद्र और राज्य सरकारों की लाभार्थी योजनाओं के बीच पैठ बनाने के लिए बीजेपी ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ भी निकाल रही है। इस यात्रा के ज़रिए वह कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से सीधे संपर्क करके उन्हें वोट में बदलने की पुरजोर कोशिश भी कर रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ से कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का चुनावी प्रबंधन प्रभावित हो सकता है। कांग्रेस का इंडिया गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर लगातार बैठकों का दौर चल रहा है।
इसी कड़ी में बीते गुरुवार को भी कांग्रेस मुख्यालय पर बेहद अहम बैठक हुई इसमें राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को भी अंतिम रूप दिया गया और सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर भी गहन चर्चा हुई। हालांकि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को आशंका है कि राहुल की इस न्याय यात्रा से चुनावी तैयारियां प्रभावित हो सकती हैं। वे एक बार यात्रा पर निकल गए तो न तो पार्टी की बैठकों में हिस्सा ले सकेंगे और न ही अन्य राज्यों में चुनाव प्रचार कर सकेंगे। आपको बता दें कि इंफाल से मुबंई की दूरी करीब 3200 किलोमीटर है, लेकिन राहुल गांधी इस यात्रा के दौरान 6700 किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर तय करेंगे। जाहिर है कि उनका ये रूट चुनावी फायदे और अधिक अधिक लोगों तक पहुंच बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। पहले यात्रा अरुणाचल प्रदेश से शुरू होनी थी। लेकिन बाद में उसे इंफाल से शुरू करने का फैसला किया गया।
वजह साफ है कि बीते आठ महीने से हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर को लेकर पीएम मोदी का न तो कोई रिएक्शन आया और न ही उन्होंने वहां जाने की जहमत उठाई। वहीं राहुल गांधी पहले भी हिंसा के दौरान मणिपुर होकर आए थे और अब वे वहां से यात्रा शुरू करने जा रहा हैं। राहुल अपनी इस यात्रा से संदेश देना चाहते हैं कि वह उनके साथ है और अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो उनके साथ न्याय होगा। इधर किसी भी पार्टी को दिल्ली की सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश को भी कांग्रेस बेहद अहम मान रही है। यही वजह है कि अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी सबसे ज्यादा 11 दिन उत्तर प्रदेश में बिताएंगे। इस दौरान वो राज्य के 20 जिलों और इतनी ही लोकसभा सीटों से होकर गुजरेंगे और 1074 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। यात्रा के दौरान राहुल गांधी हर दिन दो जगह लोगों को संबोधित करेंगे। इस हिसाब से उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की 40 सभाएं होंगी। उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से प्रवेश करेगी और प्रयागराज, अमेठी, रायबरेली, लखनऊ, सीतापुर, शाहजहांपुर, बरेली, अलीगढ़ और आगरा होते हुए राजस्थान के धौलपुर में प्रवेश कर जाएगी।
उधर, बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर के सहारे हिन्दुओं को पूरी तरह से अपनी तरफ करने की कवायद कर रही है। 22 तारीख को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद देशभर से राम भक्तों का अयोध्या आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इससे उत्तर भारत में बीजेपी के पक्ष में हिंदू वोटरों की लामबंदी का माहौल भी बनता हुआ नजर आ रहा है।ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि क्या राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ अयोध्या के सहारे पैदा किये जा रहे हिंदुत्व की नई लहर को रोकने में सफल हो पायेगी। ये तो लोकसभा चुनाव के बाद ही पता चलेगा, फ़िलहाल देश भर में इस समय सियासत पूरे चरम पर है।
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