अयोध्या/लखनऊ। अयोध्या में रामलला की उनके मंदिर में अगवानी करने के लिए धर्मनगरी नहीं बल्कि पूरे देश में तैयार हो रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों में उत्सव का माहौल है। वहीं अयोध्या को बड़े ही करीने से सजाया-संवारा जा रहा है। वह भी समय था जब अयोध्या पूरी तरह से उपेक्षित थी, लेकिन अब ये आकांक्षा का केंद्र बिंदु बन गई है। हर कोई यहां एक बार जरूर आना चाहता है। वहीं निवेशक भी यहां निवेश करने को आतुर हैं। आपको बता दें कि रामनगरी को यहां तक पहुंचने में छह साल का समय लगा है।
छह साल पहले अयोध्या में शुरू किये गए प्रयास अब जमीन पर नजर आने लगे हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई गई 45 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाओं ने अयोध्या के चेहरे और बुनियादी ढांचे में रौनक ला दी है। बता दें कि योगी सरकार ने 2031 तक करीब 85 हजार करोड़ रुपये के निवेश से अयोध्या की सूरत को पूरी तरह से बदलने का बीड़ा उठाया है। आपको बता दें कि सरकार और बीजेपी के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सबसे बड़े चेहरे अयोध्या से जुड़े हर प्रतीक को चमकाने की कवायद के साथ-साथ चुनौतियां भी रहीं।
साल 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की कमान संभाली और अयोध्या में दीपोत्सव के आयोजन का खाका खींचा, उस वक्त भी न तो राममंदिर के निर्माण की तस्वीर साफ थी और न ही कोई तारीख़ तय थी। बावजूद इसके योगी आदित्यनाथ ने इस बात पर दिया कि जब भी राम आएंगे तो उन्हें अयोध्या का बदला हुआ स्वरूप और भव्यता देखने को मिलेगी। कई दशकों बाद अयोध्या में दीपोत्सव जैसा कोई बड़ा सरकारी आयोजन हुआ, जिसका दायरा साल दर साल बढ़ता गया। आपको बता दें कि 2017 में 1.71 लाख दीपों से शुरू हुआ ये सफर 2023 में 22 लाख को पार कर गया और लगभग पांच शताब्दियों बाद राम जन्मभूमि परिसर में भी दीपावली पर दीप जला। इस आयोजन को तेत्रायुगीन राम के स्वागत की परंपरा से जोड़ा गया और चरण पखारने खुद सरकार पहुंची।
अयोध्या में एक तरफ तो विकास का पहिया तेजी से चला तो वहीं सरकारी स्तर पर बड़े-बड़े फैसले भी हुए जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बने। जैसे कि शहर का नाम फैजाबाद से बदलकर फिर से अयोध्या कर दिया गया। यहां महर्षि वाल्मीकि के नाम से एयरपोर्ट और अयोध्याधाम के नाम से रेलवे स्टेशन बनाया गया या यूं कहें कि पूरी अयोध्या नगरी को ही राममय कर दिया गया है। आपको बता दें कि 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके लगभग चार महीने बाद चैत्र नवरात्र के पहले दिन सीएम योगी ने रामलला को गोद में उठाकर टेंट से उनके अस्थायी मंदिर में स्थापित कर दिया। तब से अयोध्या को लेकर तमाम बड़े फैसले हुए। ये फैसले सिर्फ कागजों पर ही नहीं हुआ बल्कि इन्हे तेजी से जमीन पर भी उतारा गया। आज अयोध्या पूरी तरह से बदल चुकी है। यहां सौ से अधिक होटल व गेस्ट हाउस आकर ले रहे हैं।
साथ ही अन्य कई बड़े प्रोजक्ट पर भी काम हो रहा है। अयोध्या में हुआ ये बदलाव न सिर्फ शहर की सूरत बदल रहा है बल्कि अयोध्यावासियों की भी जिंदगी में सकारात्मक बदलवा ला रहा है। मालूम हो कि 22 जनवरी को पीएम रामलला को स्थायी मंदिर में स्थापित करेंगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ अयोध्या की समृद्धि की ‘प्रतिष्ठा’ के युग का भी शुभारंभ हो जायेगा। दीपोत्सव और मंदिर निर्माण के साथ ही पर्यटन उद्योग को पंख लग गए हैं।
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