वैसे तो चीन जब तब भारत को आंख दिखता रहता है लेकिन उससे सीधे पंगा लेना उसके बस में नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी सेना आधुनिक युद्ध लड़ने के सक्षम नहीं है। ड्रैगन का मानना है कि उसकी सेना के पास आधुनिक साजो सामान तो है लेकिन आधुनिक युद्ध लड़ने के लिए सेना के पास जिस मनोबल की जरूरत होती है वह उसके पास नहीं है। दरअसल पीएलए ने 2023 में सार्वजनिक रूप से अपनी कुछ कमियों को उजागर किया था जिसमें उसने पांच सैन्य नारे तैयार किए जो वास्तविक युद्ध स्थितियों के तहत पीएलए की तैयारी और युद्ध संचालन करने की उसकी क्षमता पर चिंता जाहिर करने वाले हैं। पीएलए की इन कमियों का जिक्र अमेरिकी रक्षा विभाग की उस वार्षिक रिपोर्ट में भी है जो उसने पिछले साल चीन की सैनिक और सुरक्षा तैयारियों पर बनाई है।
ये ख़ुशी की बात है कि भारत-चीन सीमा पर पिछला साल बेहद शांति से गुजरा, वहां दोनों सेनाओं के बीच न कोई झड़प हुई और न ही किसी भी तरह की घुसपैठ की कोई खबर आई। हालांकि उससे पहले वहां हुआ गलवान विवाद गाहे बगाहे सुर्ख़ियों में आता रहा, वह भी इसलिए कि उसके बाद से कुछ मुद्दों को लेकर भारत चीन के बीच सैन्य वार्ता का दौर चल रहा है लेकिन अभी तक कुछ हल नहीं निकला है। हालांकि चीन अपरोक्ष रूप से भारत को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ता है। जैसे कि पिछले साल यानी 2023 में चीन ने भारत से लगे नक्शे में फेरबदल किया, उसने भारतीय शहरों और पहाड़ों के नामों में भी परिवर्तन किया, जी-20 सम्मेलनों का श्रीनगर एवं अरुणाचल प्रदेश में आयोजन का विरोध करने के साथ ही उसने भारत के फ़िलिपीन्स और अन्य देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास की आलोचना की, लेकिन सीमा पर उसकी तरफ से कोई सैन्य हरकत नहीं की गई। इसकी मुख्य वजह है कि चीन को उसकी हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब मिला है।
पिछले कुछ सालों की भारत और चीन की सैन्य मुठभेड़ों पर गौर करें तो चीन को हर बार भारत से शिकस्त ही मिली है। 15 जून 2020 में गलवान में हुए अप्रत्यशित नुकसान और फिर 9 दिसंबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश के हॉट स्प्रिंग इलाके में भारतीय सेना से मिली चुनौती ने चीन को अपने अग्रिम क्षेत्र में तैनात पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों की कमजोरियों की समीक्षा और आत्म-मूल्यांकन करने पर मजबूर किया। हालांकि चीन ने साल 2023 के शुरूआती महीनों में सेना के प्रशिक्षण केंद्रों में उत्साहवर्धक नारों का इस्तेमाल कर तिब्बत में तैनात सैनिकों का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की थी लेकिन साल के आखिर तक आते-आते वह अपनी सेना में उपजे अंतर्विरोधों को छुपा नहीं पाया और इसके फलस्वरूप रक्षा मंत्री के साथ-साथ एक दर्जन से ज्यादा जनरलों और रक्षा उद्योग से जुड़े लोगों को गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया।
इससे पीएलए की स्थिति और भी कमजोर हो गई। आलम ये है कि आज की तारीख़ में चीनी सेना सीमा पर किसी भी बड़ी झपड़ का जोखिम नहीं उठा सकती है। पीएलए अब इस बात को स्वीकार कर रहा है कि आधुनिकीकरण के तमाम उपायों के बावजूद चीनी सेना की आधुनिक युद्ध लड़ने की वास्तविक क्षमता बेहद कम हो गई है, जिसमें सुधार लाना बेहद जरूर है। ड्रैगन ने अपनी सेना की ‘दो बड़ी कमियों’ को चिन्हित किया है। पहली कमी है – सेना राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रही है और दूसरी कमी है विश्व की उन्नत सैन्य क्षमताओं वाले देशों के मुक़ाबले वह काफ़ी पीछे है।
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