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1990 में हुए गोलीकांड को याद कर रो पड़े प्रत्यक्षदर्शी अनूप पांडे

Ayodhya firing

बाराबंकी। बाराबंकी जिला अयोध्या धाम से सटा होने की वजह से वहां होने वाले प्रत्येक कार्यों में जिले के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस जिले के तमाम लोग अयोध्या में 1990 में हुए गोली कांड के शिकार बने तो काफी लोग राम मंदिर आंदोलन के साक्षी भी बने। बाराबंकी के अनूप पांडेय भी प्रभु श्रीराम जन्मभूमि के आंदोलन के प्रत्यक्षदर्शी हैं। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से कारसेवकों और मंदिर आंदाेलन की लड़ाई में पहुंचे लोगों पर गोली चलवाए जाने की घटना के कुछ अंश शेयर किये। ऐसा करने के दौरान बरबस उनकी आंखें छलक आई। उन्होंने कहा उस दौर को याद करके आज भी उनके रंगते खड़े हो जाते हैं।

राम जन्मभूमि आंदोलन में हुए गोलीकांड का किस्सा सुनाते-सुनाते बाराबंकी के रामनगर कस्बे के अनूप पांडे का गला भर आया। उन्होंने का कहा उसकी याद ताजा मत कराओ, मेरे सामने ही गोलियां चल रही थी और हम लोग फिर भी पीछे नहीं हट रहे थे। मैं अपने साथियों के साथ दो बार अयोध्या जा चुका हूं। एक बार गोली कांड में और दूसरी बार कारसेवा में। अनूप बताते हैं कि 1990 में जब गोली कांड हुआ था तब मैं मेरे साथ स्वर्गीय सिपाही लाल शुक्ला, आत्मा शंकर मिश्रा पप्पू, रामनाथ गुप्ता थे और हम लोग एक साथ पैदल यात्रा करते हुए खेत खलिहान के रास्ते से पुलिस से बचते बचाते तीसरे दिन बड़ी मणिराम छावनी में पहुंचे। उससे पहले हम लोग शुजागंज में अचल गुप्ता के घर पर भोजन-नाश्ता, पानी किया। इसके बाद अचल गुप्ता भी मेरे साथ अयोध्या के लिए चल दिये। इस गोलीकांड में अचल गुप्ता प्रभु श्रीराम की सेवा में शहीद ह गए। उन्होंने कहा, अब शुजागंज का नाम बदलकर अचल नगर कर दिया गया है। उसके बाद हम लोग तत्कालीन विधायक व वर्तमान में सांसद लल्लू सिंह के मंदिर में रुके, जहां पर उन्होंने नहाने-खाने समेत सारी व्यवस्थाएं कराई।

उन्होंने हमें और हमारे साथियों को खेत खलिहान के रास्तों से अयोध्या जाने का रास्ता बताया, क्योंकि उस वक्त वह नजर बंद थे। उनके आदमी हम लोगों की मदद में लगे हुए थे। जब हम लोग अयोध्या पहुंचे तो बड़ी मणिराम छावनी में भोजन पानी किया इसके बाद विश्व हिन्दू परिषद के नेता स्व. अशोक सिंघल के आवाहन पर बैठक हुई। इस बैठक में मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, प्रखर हिंदू नेता प्रवीण तोगड़िया आदि नेताओं ने कारसेवकों से कलंकित ढांचे को ढहाने के लिए उत्साहित किया। इसके बाद हम लोग उमा भारती के साथ कोतवाली अयोध्या के पास पहुंचे। जहां प्रशासन द्वारा आंसू के गोली छोड़े गए थे। वहां हम लोगों पर लाठीचार्ज किया गया जिसमें सैकड़ों लोग घायल हो गए। बावजूद इसके कार सेवकों का हौसला कम नहीं हुआ। वह आगे बढ़ते रहे, तभी उन पर गोलियां चलने लगी जिससे भगदड़ मच गई। इस दौरान श्रीराम आंदोलन में पहुंचे तमाम लोग बलिदान हो गए। उसके बाद हिंदू नेता अशोक सिंघल ने कहा कि आप लोग पुनः वापस आ जाएं, अपनी जान बचाये क्योंकि आपको पुनः अयोध्या आना है और इस कलंकित ढांचे को गिराना है।

चोटिल अवस्था में हम लोग इधर से उधर भाग रहे थे, तभी एक घर का दरवाजा खुला और वह हमें अपने घर ले गया जहां उन लोगों ने गर्म पानी से हमारी चोटों को साफ़ किया और उस पर मरहम आदि लगाया। दूसरी तरफ से रोडवेज की बसें सरकार द्वारा हम लोगों के लिए लगाई गई थी जिस पर बैठकर हमारी टीम बेलसर चौराहा पहुंची। उसके बाद हम लोगों के परिवार वाले वहां पहुंचे। अनूप पांडे बताते हैं कि अचल गुप्ता और आत्मा शंकर मिश्र को मृतक घोषित कर दिया गया था। हम लोगों को भगवान श्री राम ने ही बचा लिया था। हम लोग जब घर पहुंचे तो स्थानीय पुलिस, क्षेत्राधिकारी ने घर पहुंच कर हम लोगों के बारे में जानकारी हासिल की और प्रशासन को हमारे बारे में सूचित किया। बताया गया कि यह दोनों लोग जीवित हैं। हम लोग बुरी तरह से घायल थे। आज अयोध्या में भव्य एवं दिव्य प्रभु श्रीराम का मंदिर बन रहा है। हम लोग बेहद खुश हैं कि हमारी मेहनत और हमारे लोगों का बलिदान जाया नहीं गया। उन्होंने बताया कि मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत मैं परिवार के साथ भगवान के भव्य मंदिर में दर्शन पूजन करने जाऊंगा।

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