अयोध्या। अयोध्या में पांच सदी बाद हो रहे राम जन्मभूमि पर श्रीराम लला मंदिर की पुनर्प्रतिष्ठा समारोह में चारों शंकराचार्य भाग नहीं लेंगे। हालांकि वैष्णव धर्म गुरुओं और संत महंतों ने इस समारोह को उचित बताया है।बताया जा रहा है कि चार में से दो शंकराचार्यों पूर्वाम्नाय जगन्नाथ पुरी के गोवर्धन पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दो टूक कह दिया है कि वो इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शिरकत नहीं करेंगे। उन्होंने का है कि ये कार्यक्रम शास्त्रोक्त विधि नहीं हो रहा है। इसका राजनीतिकरण हो चुका है।
बताया जा रहा है कि स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने दो टूक कहा कि धर्म निरपेक्ष राष्ट्र के प्रधानमंत्री गर्भगृह में जाकर देव विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा का उपक्रम करेंगे, ये शास्त्रोक्त विधि नहीं है। उनका कहना है कि जहां शास्त्रीय विधि का पालन नहीं हो वहां हमारे रहने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि शास्त्र कहता है कि यदि विधि पूर्वक प्राण प्रतिष्ठा न हो तो उस प्रतिमा में देव विग्रह की बजाय भूत, प्रेत, पिशाच, बेताल का निवास हो जाता है, उसकी पूजा का भी शुभ फल नहीं मिला है क्योंकि वो सशक्त हो जाते हैं। ऐसे शास्त्र विरुद्ध समारोह में हम ताली बजाने क्यों जाएं? ये राजनीतिक समारोह है। सरकार इसका राजनीतिकरण कर चुकी है। वहीं प्राण प्रतिष्ठा को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कहते हैं कि मंदिर अभी पूर्ण रूप से नहीं बना है और अपूर्ण मंदिर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की आज्ञा शास्त्र नहीं देता है।
हालांकि पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने इस बारे के खुलकर तो कुछ नहीं कहा है, लेकिन वह भी इस समारोह में शिरकत नहीं करेंगे। दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य महा सन्निधानम स्वामी भारती तीर्थ ने भी इस शुभ अवसर पर देशवासियों को शुभ कामनाएं दी हैं और इस अवसर पर सबको आनंद मनाने को कहा है। स्वामी भारती तीर्थ की तरफ से मठ ने एक पत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि कुछ धर्म द्वेषी लोग ये दुष्प्रचार कर रहे हैं कि मैं प्राणप्रतिष्ठा समारोह के विरोध में हूं, लेकिन ये सच नहीं है, हमने तो प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पिछली दीपावली पर भी राम नाम तारक महामंत्र जाप का संदेश दिया था, अब भी जनता इस शुभ अवसर पर अयोध्या में रामजी के दर्शन कर उनके कृपापात्र बनें. हालांकि उन्होंने इस पत्र में अपने जाने या न जाने को लेकर कुछ नहीं लिखा, लेकिन सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि स्वामी जी श्रृंगेरी में ही रहेंगे। वह भी अयोध्या में होने वाले समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे।
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