नई दिल्ली। आखिर वो शुभ घड़ी आ गई, जिसका इंतजार लोग सदियों से कर रहे थे। अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। इसके बाद अब भगवान के नव्य-भव्य मंदिर में रामलला की पूजा अर्चना भी शुरू हो गई। मंदिर में पूजन और विधि-विधान का सिलसिला अगले 48 दिन तक चलता रहेगा। आज 23 जनवरी से होने वाली पूजन विधि को मंडल पूजा कहा जाता है। ये पूजा दक्षिण भारत में काफी प्रचलित है। आइए जानते हैं मंडल पूजा का कार्यक्रम और किसलिए की जाती है ये पूजा विधि? इस अनुष्ठान का क्या महत्व है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा पूजन के बाद यानी 23 जनवरी से 48 दिन तक ये पूजा होगी। उन्होंने कहा कि पूजा मंडल उत्तर भारत में उतनी प्रचलित नहीं है, जितनी कि दक्षिण भारत में, लेकिन अयोध्या के विद्वान और संत इसकी विधि जानते हैं। अयोध्या में ये मंडल पूजा कर्नाटक के उडुपी के जगद्गुरु माध्वाचार्य विश्व प्रसन्न तीर्थ स्वामी के नेतृत्व में की जाएगी। बता दें कि विश्व प्रसन्न तीर्थ महाराज राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी भी हैं। आधिकारिक व्यक्ति इस पूजा को कराएंगे।
क्या-क्या होगा इस 48 दिन की पूजा में
चंपत राय ने बताया कि 48 दिनों की इस पूजा में चांदी के कलशों से द्रव्य के साथ रामलला की मूर्ति का दैनिक अभिषेक किया जाएगा। पूजा के दौरान विद्वानों और आचार्यों द्वारा चतुर्वेद और दिव्य ग्रंथों का पाठ किया जाएगा।
क्यों की जाती है मंडल पूजा
41 से 48 दिनों तक चलने वाली इस मंडल पूजा में कठोर रीति-रिवाज का पालन किया जाता है। पूजा शास्त्रों में निर्धारित है जिसमें सभी तपस्या और दिनचर्या शामिल होती है। आपको बता दें कि मंडल पूजा दक्षिण भारत के राज्यों में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान या विधि मानी जाती है। केरल के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में 41 दिनों तक चलने वाला मंडल कलम विख्यात है। यह विधि लंबी तपस्या के पूरा होने का प्रतीक होती है।
अनुष्ठान का महत्व
धार्मिक शास्त्रविदों का कहना है कि मंडल पूजा का शुभारंभ गणपति महाराज के आह्वान से होता है। मान्यता है कि मंडल पूजा के दौरान नियमित पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। भगवान राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। यही वजह है कि अयोध्या के राम मंदिर में मंडल पूजा कराई जा रही है।
मंडल पूजा के नियम
मंडल पूजा करने वाले भक्त को 41 दिनों तक कठिन प्रक्रियाओं, दिनचर्या और अनुशासन का पालन करना होता है। यह पूजा विधि एक कुशल गुरु या आचार्य से दीक्षा प्राप्त करने के साथ शुरू की जाती है। दीक्षा देने वाले गुरु या आचार्य वेदों और शास्त्रों में बहुत पारंगत होते हैं।
मंडल पूजा के नियम
- मंडल पूजा के दौरान 41 या 48 दिनों का उपवास किया जाता है
- 41 या 48 दिनों तक ब्रह्मचर्य, पवित्रता और त्याग का कठोर पालन करना अनिवार्य होता है।
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