लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की 11 सितंबर 2023 की अधिसूचना के तहत निर्णय लेने के बाद ही प्राथमिक शिक्षकों का प्रमोशन किया जाए। दरअसल, इस अधिसूचना के तहत जूनियर और सीनियर बेसिक स्कूलों के सहायक व प्रधान शिक्षक और शिक्षिकाओं के पदों पर प्रमोशन को टीईटी को अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि, कोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि यह आदेश अर्ह अध्यापकों की प्रोन्नति में बाधा नहीं बनेगा। इस संबंध में की गई कारवाई इस याचिका के परिणाम के अधीन होगी।
बता दें कि यह आदेश न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने हिमांशु राणा व अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। हाईकोर्ट में दायर याचिका में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा( अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 के नियम 18 की वैधता को उस सीमा तक चुनौती दी गई है जहां तक एन सी टी ई की अधिसूचना के तहत उसमें टी ई टी को अनिवार्य करने का संशोधन नहीं किया गया है।
याचिकर्ताओं का कहना था कि प्रोन्नति के लिए प्राथमिक शिक्षकों का टी ई टी पास होना अनिवार्य है। बावजूद इसके नियम 18 के तहत टीईटी पास न करने वाले शिक्षकोंका भी प्रमोशन किया जा रहा है। कोर्ट ने मामले में केंद्र और राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
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