बिहार में कई दिनों तक चले गतिरोध के बाद जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर बिहार की कमान संभाल ली है। बता दें कि नीतीश ने साल 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी। हालांकि अब ऐसा लग रहा है कि 18 साल बाद वह अपने कमजोर दौर में हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि नीतीश कुमार की ये सरकार कितने दिन तक चल पायेगी। राजनीतिक गलियारों में ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार के लिए मुख्यमंत्री बने रहना संभव नहीं होगा।
वहीं कुछ लोगों का तो ये ही कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है? आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में ये भी संभव है कि भारतीय जनता पार्टी उस समय नीतीश कुमार से समर्थन वापस लेकर अकेले अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरे? या ये भी हो सकता कि नीतीश कुमार पर इस बात के लिए दबाव बनाया जाये कि वह बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री बनाने में एनडीए को समर्थन दे।
उल्लेखनीय है कि साल 2020 में भारतीय जनता पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव जीतने वाले नीतीश कुमार ने अपने एक बयान में कहा था कि वह मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने भाजपा को ऑफर दिया था कि वह चाहे तो बिहार में मुख्यमंत्री बना सकती है। जेडीयू उसे समर्थन देगी। हालांकि भाजपा ने बड़ी जीत के बाद भी अपना वादा निभाया और नीतीश कुमार को सीएम पद पर बैठाया। इसके बाद 9 अगस्त 2022 का वह समय भी आया जब नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़कर राजद वाले महागठबंधन का दामन थाम लिया और उसके समर्थन से दोबारा से सरकार बना ली।
यह गठबंधन भी महज 17 महीने ही चला और 28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए में शामिल हो गए और फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। नीतीश के इस कदम से भाजपा बेहद उत्साहित है क्योंकि उसने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। जैसे कि बिहार में एनडीए की सरकार बन गई, लोकसभा चुनाव में एनडीए और जदयू साथ नजर आएंगे और इण्डिया गठबंधन में भी फूट पड़ गई। आपको बता दें कि 28 जनवरी से पहले अगस्त 2022 और दिसंबर 2023 के बीच भारतीय जनता पार्टी नीतीश पर लगातार हमलावर रही है।
उस वक्त के हालात को देखकर साफ़ लग रहा था कि भाजपा की प्रदेश इकाई उनके साथ किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं थी लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र केंद्रीय नेतृत्व के फ़ैसले के दबाव में बिहार भाजपा के नेता नीतीश कुमार के साथ जाने के लिए तैयार हो गए। खैर अब जो भी हो हाल फ़िलहाल में बिहार में एक बार फिर से एनडीए के समर्थन से नीतीश कुमार ने बिहार की गद्दी हासिल कर ली है और इण्डिया गठबंधन से किनारा कर लिया है। हालांकि अभी यह बात साफ नहीं हो पाई है किसी भी सरकार में सबसे अहम विभाग माना जाने वाला गृह मंत्रालय भाजपा अपने पास रखेगा या फिर जेडीयू के किसी नेता को ये जिम्मा दिया जायेगा।
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