अंबाला। दिल्ली बॉडर्स पर डटे किसान भले ही राजधानी के अंदर दाखिल होने में असमर्थ रहे, लेकिन उनकी तैयारी से पुलिस ने बड़ा सबक लिया है। बॉर्डर पर जब तब किसानों और पुलिस के बीच टकराव हो रहा है। इस बार किसान पूरी तैयारी के साथ आंदोलन में उतरे हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस को जब खबर मिली कि किसान पोकलेन और जेसीबी से लैस होकर बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं तो पुलिस ने भी उनके सामने बॉर्डर पर पोकलेन और जेसीबी खड़ी कर दी, लेकिन किसानों की इस तरह की तैयारी को देखकर प्रशासन हैरान रह गया।
आपको बता दें कि पुलिस के प्रहारों से बचने के लिए किसान लोहे की चादर और तस्ले पर कुंडा लगाकर उसे ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे रबड़ की गोलियां और आंसू गैस के गोले उन्हें ज्यादा नुकसान न पंहुचा सके। इसी तरह से कुछ किसान अपनी ट्रॉली का हिस्सा शॉकर से ऊपर उठाकर अपना बचाव करते हुए नजर आए। इसके साथ ही पुलिस द्वारा फेंके जा रहे आंसू गैस के गोलों का जवाब देने और ड्रोन के हमले को नाकाम करने के लिए किसान मल्टी शॉट पटाखे इस्तेमाल कर रहे हैं। बता दें कि बुधवार सुबह तो किसान दिल्ली कूच की तैयारियों के चलते मिट्टी के सैकड़ों कट्टों को बॉर्डर पर जमा करने के साथ-साथ अन्य तैयारी करते दिखे लेकिन वहां पुलिस के साथ उनका कोई टकराव नहीं था।
बाद में 11 बजे के आसपास जब किसानों ने बॉर्डर के करीब आने की कोशिश की तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। हालांकि पुलिस का कहना था कि उन पर पथराव किया गया था तो उन्होंने जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद ड्रोन से भी हमले कर भीड़ को खदेड़ने का काम किया गया। आपको बता दें कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर बीते आठ दिनों से शंभू और खनौरी-दातासिंह वाला बॉर्डर डटे किसानों ने बुधवार की सुबह एक बार फिर से दिल्ली कूच का प्रयास किया तो हरियाणा पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने उन पर आंसू गैस के गोले बरसाए और रबड़ की गोलियां भी चलाईं।
इस दौरान पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज भी किया। इस बवाल के बीच गोली लगने से दो किसानों के घायल होने की भी खबर है। इनमे बठिंडा के गांव बल्लोंके के युवा शुभकरण (23) की मौत हो गई, जबकि दूसरे किसान संगरूर के नवांगांव के प्रीत पाल सिंह को भी गंभीर चोट आई है। उसे रोहतक पीजीआई में एडमिट कराया गया है।।
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