लखनऊ। योगी सरकार में मंगलवार को मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। इस मंत्री विस्तार में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) कार्ड पर अपना पिछड़ा, दलित और अगड़ा (पीडीए) कार्ड खेला है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने न सिर्फ सहयोगी दलों को संतुष्ट करने के लिए मंत्री पद का तोहफा दिया, बल्कि क्षेत्रीय व जातीय समीकरण को भी साधने का भी भरपूर प्रयास किया है।
बता दें कि सपा ने बीते कई महीनों से पीडीए को चुनावी नारा बना रखा है। पीडीए के जरिये सपा पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार में अति पिछड़ी जाति के ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाया है। वहीं दलित वर्ग से अनिल कुमार और ब्राह्मण समाज से सुनील शर्मा को मंत्रिमंडल में जगह दी है।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि सुभासपा के अलग होने से 2019 और 2022 में भाजपा को पूर्वांचल में नुकसान हुआ था, लेकिन अब सुभासपा के एनडीए में शामिल होने से 2024 के लोकसभा चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा मिलेगा। सरकार में पश्चिमी यूपी से ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व नहीं था। सुनील शर्मा के जरिये पार्टी ने वह कमी भी पूरी कर ली।
बता दें कि भाजपा ने रालोद को लोकसभा की दो और विधान परिषद की एक सीट गठबंधन में दी है। पार्टी ने इस गठबंधन के जरिए जहां पश्चिमी यूपी में जाट व गुर्जर वोटबैंक को साधा है, वहीं मंत्रिमंडल में रालोद से दलित समाज को मौका देकर जाटव वोट बैंक साधने का प्रयास भी किया है।
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