वाराणसी। बाहुबली डॉन मुख्तार अंसारी को वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। उन्हें 33 साल 3 महीने 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस केस में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही इसी मामले में उस पर दो लाख दो हजार का जुर्माना भी लगा है।
माफिया मुख्तार की सजा को लेकर कोर्ट का 54 पेज का फैसला आया है। फैसले के दौरान मुख्तार अंसारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बांदा जेल से पेश हुआ। इस समय वह बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) के सरगना और माफिया मुख्तार को आठवीं बार सजा सुनाई गई है।
विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की कोर्ट ने बुधवार को मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई। इससे पहले इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित कर लिया था। इससे पहले इसी अदालत में 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। मुख्तार को अब तक सात मामलों में सजा मिल चुकी है। आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है।
ये है मामला
अभियोजन पक्ष की दलील के अनुसार मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को असलहा लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। आरोप था कि गाजीपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर उसने शस्त्र लाइसेंस हासिल कर लिया था। इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
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