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क्या अयोध्या में चुनाव महज औपचारिकता है?
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पूरे देश के लिए यही देखना दिलचस्प है कि लालू प्रसाद जीत की हैट्रिक लगाते हैं या अवधेश प्रसाद पहली बार यहां खाता खोलते हैं।
अयोध्या। इस समय देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की निगाह उत्तर प्रदेश की राम नगरी अयोध्या पर है। भव्य राम मंदिर बनने के बाद हर कोई ये जानने को उत्सुक है कि यहां का इस साल का चुनावी माहौल कैसा है। क्या अब भी यहां राम मंदिर ही मुद्दा रहेगा या कुछ और? क्या अयोध्या में राम मंदिर बन जाने से देश भर में या फिर अवध में बीजेपी के लिए चुनाव की राहें आसान हो जाएंगी? फिलहाल किसी के दिमाग के कोई भी सवाल क्यों न उठ रहा हो लेकिन इतना तो तय है कि इस बार भी देश भर में लहर बीजेपी की ही देखने को मिल रही है।
बात अगर करें अयोध्या की और यहां के चुनावी माहौल की तो इस सीट से दो बार सांसद रहे लल्लू सिंह पर बीजेपी ने एक बार फिर से भरोसा जताया है। लल्लू सिंह 1991 से 2012 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे हैं। इस अवधि के दौरान वे उत्तर प्रदेश सरकार में आश्वासन समिति, उत्तर प्रदेश विधान सभा के सभापति, उत्तर प्रदेश पर्यटन राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार में बिजली ऊर्जा राज्यमंत्री भी रहे हैं।
बीते दो मार्च को जारी की गई लिस्ट में बीजेपी ने लल्लू सिंह को एक बार फिर से यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। हालांकि यहां की जनता को उम्मीद थी कि इस बार अयोध्या से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह चुनाव लड़ सकते हैं। ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि अयोध्या से किसी बड़ी फिल्में हस्ती को उतारा जा सकता है। इन सब कयासों के बीच भाजपा हाईकमान में जब लल्लू सिंह के नाम का ऐलान किया तो उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, लेकिन आम मतदाता के लिए कोई चौंकाने वाली बात सामने नहीं आई। सब कुछ वैसा ही, जैसा 10 साल से देखते आ रहे हैं।
लल्लू सिंह के लिए ”ऑल इस वेल” होगा मुकाबला?
दरअसल, अयोध्या में लंबे संघर्ष के बाद मोदी-योगी राज में राम मंदिर बना और बेहद भव्य तरीके से रामलला की परन प्रतिष्ठा की गई। इसके साथ ही यहां हो रहेअभूतपूर्व विकास के चलते लल्लू सिंह के लिए ये चुनाव “ऑल इस वेल” वाला ही रहेगा। हालांकि विपक्षी गठबंधन इंडिया के बैनर तले इस सीट से चुनाव मैदान में उतरे अवधेश प्रसाद जनता के बीच अपनी पकड़ को और मजबूत करने की जुगत भिड़ा रहे हैं।
अनुभव की बात करें तो अवधेश प्रसाद सपा के कद्दावर नेता हैं। वे 9 बार विधायक और छह बार मंत्री रह चुके हैं जबकि लल्लू सिंह भाजपा के भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं। लल्लू सिंह पांच बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं। ये दोनों ही नेता जबरदस्त तरीके से चुनाव मैदान में उतरते हैं।
टक्कर देते आंकड़े
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा को जीतें वोट मिले थे, उसे अगर इस बार मिला दिया जाए तो आंकड़े भाजपा प्रत्याशी को टक्कर देने वाले हो सकते हैं।
सपा प्रत्याशी आनंद सेन को 4,63,544 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री को 53,386 वोट मिले थे। इस दोनों के आंकड़ों को जोड़ दें तो 5,16,930 होते हैं।
उधर लल्लू सिंह के खाते में 5,29,021 वोट आए थे। इस साल ये देखने वाला होगा कि इंडिया गठबंधन इन आंकड़ों को सच में कितना बदल पता है।
लल्लू सिंह साल 2019 में दूसरी बार अयोध्या सीट से सांसद चुने गए थे। इससे पहले यानी 1 सितंबर 2014 से वह उद्योग और व्यापार मंत्रालय की खाद्य उद्योग सलाहकार समिति के सदस्य थे। वहीं 2013 में वे परामर्शदात्री समिति, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सदस्य रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट से दूसरी बार चुनाव लड़े लल्लू सिंह ने गठबंधन प्रत्याशी आनंद सेन यादव को 65,477 वोटों से हराकर एक बार फिर सांसद मे अपनी जगह पक्की कर ली। अब वे तीसरी बाद फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।
पिछले तीन चुनावों का हाल
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। ऐसे में इस सीट से सपा के आनंद सेनन यादव मैदान ने थे, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। उस वक्त लल्लू सिंह को 5 लाख 29 हजार 21 वोट और आनंद को 4 लाख 63 हजार 544 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के टिकट से चुनाव मैदान में उतरे निर्मल खत्री को 53,886 वोट मिले। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी लल्लू सिंह ने सपा प्रत्याशी मित्रसेन यादव को बड़े अंतर से हराया था। इस चुनाव में लल्लू सिंह को 4,91,71 वोट मिले जबकि सपा के मित्र सेन को 2,08,986 वोट ही मिले। बसपा के जीतेंद्र कुमार सिंह बब्लू को 1,21,827 वोट और कांग्रेस के निर्मल खत्री को 1,29,917 वोट मिले।
अयोध्या से तीसरी बार टिकट मिलने के बाद लल्लू सिंह ने कहा कि भारत को ‘विकसित भारत संकल्प 2047’ के अनुरूप विकसित देश बनना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विगत दस साल तक जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने का काम कर रहे हैं। मोदी सरकार ने जनता के लिए पक्के घर बनाए, हर घर में बिजली और पानी पहुंचाया। विधवा पेंशन और किसान सम्मान निधि में बढ़ोतरी कर किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त किया गया है। एक जिला एक उत्पाद से कुटीर उद्योग को बढ़ावा मिला। लल्लू सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में धार्मिक केंद्र स्थापित किये हैं. अयोध्या में 500 वर्षों के संघर्ष के बाद जनमत के अनुरूप भव्य दिव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ और उसकी प्राण-प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह आयोजित हुआ। पूरे अयोध्या में अब काम बहुत तेजी से चल रहा है. नए रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे पहले ही खुल चुके हैं।
40 साल से इन नेताओं के इर्द-गिर्द घूम रही अयोध्या की राजनीति
अयोध्या की राजनीति बीते 40 साल से चार नेताओं के इर्द-गिर्द घूम रही है। यह है निर्मल खत्री ,मित्रसेन यादव, विनय कटियार और लल्लू सिंह । विनय कटिहार तीन बार, मित्रसेन यादव तीन बार, निर्मल खत्री दो बार ,लल्लू सिंह दो बार सांसद रह चुके हैं। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि इनमें पांचवें की एंट्री कब और कैसे होती है।
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