Barabanki News । बाराबंकी को पूर्वांचल का प्रवेश द्वार कहा जाता है इसलिए यह सीट लोकसभा चुनाव का बेहद अहम हिस्सा रही है। कभी सपा का गढ़ माने जाने वाले इस जिले का इस लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी न होना समाजवादी पार्टी के वर्चस्व को समाप्त होने की तरफ माना जा रहा है। ताज हेरीटेज कॉरिडोर में घोटाले के आरोपी व दिवंगत नेता बेनी प्रसाद वर्मा के संरक्षण में एक बार चुनाव जीत चुके पीएल पुनिया आखिरकार अपने बेटे को गठबंधन प्रत्याशी बनाने में कामयाब हो गए।
अखिलेश यादव के अपने व्यक्तिगत संबंधों की वजह से इस सीट पर अपने बेटे को चुनाव लडवा रहे हैं ,हालांकि सपा के पास स्वयं राकेश वर्मा अरविंद सिंह घोप जैसे नेता मौजूद थे जो मोदी लहर के बावजूद भाजपा को कडी टक्कर दे सकते थे । लेकिन ऐसा नहीं हुआ तनुज पूनिया आज तक Barabanki में दर्जनों चुनाव लड़े लेकिन अब तक उन्हें जीत नसीब नहीं हुई ।इसलिए उन्हें शर्मनाक हारों का बेताज बादशाह कहा जा रहा है पी.एल.पुनिया की तरफ से इस सीट पर परिवारवाद के चलते कोई और कांग्रेसी कार्यकर्ता पनप नहीं पाया । दबी जुबान यहां के कांग्रेसी कार्यकर्ता पुनिया को कांग्रेस का धृतराष्ट्र कहें हैं क्योंकि पुनिया के पुत्र मोह के कारण यहां कोई भी कांग्रेसी कार्यकर्ता आगे नहीं बढ़ पाया और न ही Barabanki में संगठन मजबूत हो पाया यही कारण है कि यहां कांग्रेस मेहनती कार्यकर्ताओं के बावजूद हमेशा दरकिनार किया जाता रहा फिलहाल पूरे देश में विपक्षी गठबंधन का प्रत्याशी बनने पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता दबे मन ही सही स्थानीय स्तर पर तनुज पुनिया को अभी तक मन से स्वीकार नहीं कर पायें है।

समाजवादी पार्टी के वोट तनुज पुनिया को नहीं ट्रांसफर होंगे? Barabanki News
बाराबंकी में समाजवादी पार्टी के दो विधायक के अलावा दो प्रदेश स्तर के गद्दार नेता अरविंद सिंह घोप को व राकेश वर्मा आते हैं जिनका अपने आप में बड़ा जनाधार है ।लेकिन गठबंधन प्रत्याशी तनुज पूनिया को Barabanki की जनता अभी नेता मानने को तैयार नहीं है। सूत्रों की माने तो समाजवादी पार्टी के वोट तनुज पुनिया को नहीं ट्रांसफर होंगे? जानकार लोग बताते हैं कि राकेश वर्मा अपने करीबी गौरव रावत को जयपुर विधानसभा से चुनाव लड़वाते हैं और जीत भी दर्ज करते आए हैं । इस सीट पर हमेशा तनुज पुनिया नंबर दो पर आते हैं। इसलिए सपा के स्थानीय वोटर किसी भी हालत में अपने पुराने प्रतिनिधि को समर्थन नहीं करेंगे भले ही इस चुनाव में परदे के पीछे भाजपा प्रत्याशियों को सहयोग करना पड़े।
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वहीं दूसरी तरफ अरविंद सिंह घोप के भाई अशोक सिंह की मौजूदा भाजपा प्रत्याशी राज रानी रावत से नज़दीकियां जग जाहिर है। राजरानी रावत के जिला पंचायत अध्यक्ष रहते अशोक सिंह व उनके सहयोगियों को कभी कोई दिक्कत नहीं हुई इसलिए माना जा रहा है कि अरबिंद सिंह घोप के समर्थक भी राज रानी रावत को खुला विरोध नहीं करेंगे। वहीं पर शहर से विधायक सुरेश यादव शहर में खुलकर भाजपा का कभी विरोध नहीं किया है सुरेश यादव ही नहीं Barabanki जिले में कभी भी सपा ने किसी सरकारी नीतियों का खुलकर विरोध नहीं किया है बावजूद इसके समाजवादी पार्टी अपने स्थानीय नेताओं की अगुवाई में मोदी लहर में भी अपना सम्मान बचानें में कामयाब रही। लेकिन इस लोकसभा चुनाव में सपा कार्यकर्ता अंदर खाने नाराज है ऐसे में तनुज पुनिया अकेले दम पर स्थानीय भाजपा संगठन को कितनी टक्कर दे पाते हैं यह तो वक्त बताएगा..
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ताज कॉरिडोर घोटाला में सीबीआई कुछ पुख्ता सुबोतों के आधार पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती व उस दौरान ताकतवर सचिव रहे पी एल पूनिया समेत दर्जनों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे उसे मामले में पीएल पुनिया 420 468 120 भी 467 और 471 के अलावा भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13(2) v13(1) लगाई गई थी इस मामले में ताज कॉरिडोर प्रोजेक्ट की लागत 175 करोड रुपए बताई गई थी जबकि इसके लिए मात्र 17 करोड रुपए ही खर्च हुए थे । उस समय पी. एल. पुनिया मायावती सरकार में प्रमुख सचिव थे। इस काम में ना कोई वर्क आर्डर जारी हुआ था और ना ही संस्थान की प्रोजेक्ट डिटेल मंगाई गई थी ।उसे मामले में पी एल पूनिया निलंम्बित हो गए थे ।
कहा जाता है इस कोटा में शामिल होने के लिए निलंबित आईएएस अधिकारी पीएल पुनिया को सौंप गए आरोप पत्र में फ्लेक्स इंडस्ट्रीज की बड़ी संख्या में मानार्थ हवाई टिकटों का उपयोग करने के लिए उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा गया था जिसकी सीबीआई जांच चल रही है उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के सबसे प्रभावशाली प्रधान सचिव थे और आरोप पत्र में कहा गया है कि 1999 2000 के दौरान उन्होंने लखनऊ से दिल्ली व अन्य स्थानों की यात्रा के लिए विवादास्पद फॉर्म से 54 मानस टिकट प्राप्त किए थे कई बार तो उनकी पत्नी की टिकटों का इस्तेमाल करती थी आरोप पत्र में कहा गया है कि यह सेवा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है इसमें यह भी बताया गया है कि पूनिया ने सेंचुरी कंसल्टेंट्स और फ्लेक्स इंडस्ट्रीज द्वारा संचालित योजनाओं में भारी मात्रा में पैसा निवेश किया दोनों कंपनियां विवादित थी और उनके मालिकों को सीबीआई ने गिरफ्तार कर जेल डाल दिया था लखनऊ स्थित सेंचुरी कंसल्टेंट्स के जौहरी बंधुओ ने हजारों निवेशकों का चूना लगाने के बाद गायब होने का काम किया था बाद में उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था फ्लेक्स इंडस्ट्रीजइस साल की शुरुआत में खबरों में थी जब सीबीआई ने इसके कर चोरी रैकेट का खुलासा किया और यह सार्वजनिक हो गया था समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह इसके निवेशकों में से एक थे बाद में अमर सिंह ने और अधिक शर्मिंदगी से बचने के लिए पद से इस्तीफा दे दिया था 2002 में प्रभात कुमार जो झारखंड के राज्यपाल थे को तब पद छोड़ना पड़ा जब यह पुष्टि हुई कि उनके द्वारा आयोजित एक डिनर पार्टी को फ्लेक्स ग्रुप के अशोक चतुर्वेदी द्वारा बित्त पोषित किया गया था।
अधिकारियों का दावा है कि जब पूनिया 1982 85 के दौरान P I c u p (प्रदेशीयऔद्योगिक और निवेश निगम उत्तर प्रदेश) के प्रबंध निदेशक थे तो उन्होंने फ्लेक्स इंडस्ट्री को वित्तीय सहायता दी थी। ऐसा कहा जाता है कुल मिलाकर उसके बाद पीएल पुनिया ने कांग्रेस की सैलरी और कांग्रेस ज्वाइन किया कांग्रेस ज्वाइन करने अपना गृह जनपद छोड़ने के बाद के बाद पल पुरिया ने पीएल पुनिया ने बाराबंकी को की ओर रुक किया और पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा उसे दौरान बाराबंकी के गद्दार नेता बेनी प्रसाद वर्मा ने उनका सहयोग किया और उनके सहयोग से ही पीएल पुनिया पहली बार सांसद बने बाद में पीएल पुनिया से भीम के संबंधों से खटास हो गई.

उसके बाद अगले चुनाव में जब बेनी प्रसाद वर्मा ने उनका समर्थन नहीं किया तो वह चुनाव हार गए यह वही चुनाव था जब बाराबंकी से प्रियंका रावत लोकसभा सदस्य चुनी गई थी उसके बाद पीर पूनिया ने बाराबंकी में ही डेरा जमा लिया और यही से राजनीति करने लगे लेकिन इस दौरान कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में इनका नाम शुमार होने लगा इन्होंने स्थानीय स्थानिक कांग्रेस संगठन को भी अपना हिस्सा बना लिया और उसके बाद उनकी सक्रियता के दौरान किसी भी कांग्रेसी कार्यकर्ता को कभी भी आगे बढ़ने का मौका नहीं मिला जब भी चुनाव लड़ने की बारी आती है तो उनके लड़के का नाम ही सबसे पहले आता है इसके लिए बहाना यह बताया जाता है कि कोई भी कार्यकर्ता यहां चुनाव लड़ने में सक्षम नहीं है।
