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राजरानी सभी दर्जों के लिए सर्वमान्य
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के टिकट पर बारांबकी सीट से चुनाव मैदान में उतरी राजरानी रावत की सपा में भी अच्छी पकड़ है। वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहीं राजरानी रावत वर्ष 2014 में भाजपा से टिकट न मिलने पर सपा के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई थी। साल 2014 में प्रियंका सिंह रावत यहां से सांसद चुनी गई थीं। वहीं 2019 में बीजेपी के टिकट से उपेंद्र रावत ने चुनाव लड़ा था और संसद में अपनी जगह बनाई थी। राजरानी 2021 में निंदूरा चतुर्थ से जिला ‘पंचायत सदस्य का चुनाव जीतीं। इसके बाद बीजेपी ने उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया, तब सपा के कई सदस्यों ने राजरानी के पक्ष में मतदान किया। इसका नतीजा ये रहा कि कुल 57 वोटों में 48 राजरानी रावत के खाते में गए जबकि सपा प्रत्याशी नेहा आनंद को मात्र नौ वोट से ही संतोष करना पड़ा।
देश में आम चुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में सियासी माहौल भी गरमाया हुआ है। पार्टियों में टिकट के लिए होड़ मची हुई है। वहीं उत्तर प्रदेश की बाराबंकी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी से रावत बिरादरी के आधा दर्जन लोग टिकट के लिए दावेदारी ठोंक रहे थे, लेकिन गठबंधन के बाद ये सीट कांग्रेस के हिस्से में चली गई है। इसके बाद कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व सांसद डा. पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को मैदान में उतारा है। ऐसे में सपा से टिकट की दावेदारी ठोंक रहे रावत बिरादरी के लोगों में नाराजगी है, जिसका फायदा राजरानी उठा सकती हैं। दरअसल बीजेपी के टिकट से चुनाव मैदान में उतरीं राजरानी की सपा में अच्छी पकड़ है। संभावना जताई जा रही है कि सपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं से राजरानी रावत के पुराने संबंध इन नाराज लोगों को अपने पक्ष में करने में अहम कड़ी साबित हो सकते हैं।
बता दें कि उपेंद्र रावत के चुनाव न लड़ने के फैसले के बाद बीजेपी डैमेज कंट्रोल के लिए रावत बिरादरी से ही किसी ऐसे दमदार प्रत्याशी की तलाश कर रही थी जो सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी पर भारी पड़े क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी रहे राम सागर रावत को 4,25,777 व कांग्रेस प्रत्याशी तनुज को 1,59,611 वोट मिले थे। ऐसे में अगर दोनों प्रत्याशियों के मतदाताओं को जोड़ दिया जाये तो 5,85,388 होते हैं, जो भाजपा के जीते प्रत्याशी से 49471 वोट से कहीं ज्यादा हैं। वहीं प्रतिशत में देखा जाए तो भाजपा प्रत्याशी को 46.37 प्रतिशत, सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी को 36.34 व कांग्रेस को 13.61 प्रतिशत मत मिले थे। ऐसे में सपा-बसपा गठबंधन व कांग्रेस के वोटों को जोड़ दिया जाए तो यह 50.65 प्रतिशत बनता है।
रावत बिरादरी के वोटरों को साध रही बीजेपी
इस आंकड़े के मुताबिक इस बार के चुनाव में सपा कांग्रेस भारी पड़ती हुई नजर आ रही है। इसी को देखते हुए भाजपा ने राजरानी रावत को मैदान में उतार कर रावत बिरादरी के वोटों को साधने की कोशिश की है। बीजेपी की नजर सपा के वोट बैंक पर है। ये भी कहा जा रहा है कि राजरानी के नाम पर स्थानीय दावेदारों में कोई अंतर्कलह भी नहीं है। भाजपा जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार मौर्य की मानें तो राजरानी को टिकट देकर बीजेपी में समन्वय साधने का काम किया है।
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