रामानंद सागर के पौराणिक धारावाहिक रामायण में राम की भूमिका निभा कर लोगों के दिलों में खास जगह बना चुके अरुण गोविल को बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की मेरठ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। 90 के दशक में जब ये सीरियल टीवी पर आता था तो कई लोग उनके पर्दे पर आते ही आरती उतारने लगते थे। वहीं अब 2024 के चुनाव में वे मेरठ चुनाव लड़ रहे हैं।
बता दें कि मेरठ रावण का ससुराल है। मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी यहीं की रहने वाली थीं। घर-घर में प्रभु राम की तरह पूजे गए अरुण गोविल, अब “जनता से वोटों का प्रसाद पाकर लोकतंत्र के मंदिर में रामराज की पुनर्स्थापना का संकल्प लेने के लिए मैदान में हैं। इसमें उन्हें कितनी सफलता मिलेगी ये तो आने वाला समय ही बताएगा। 72 वर्षीय अरुण गोविल को अब एक बार फिर से श्रीराम के प्रति आस्था को साकार रूप देने का फिर मौका है।
उल्लेखनीय है कि अरुण गोविल ने जब रामानंद सागर के धारावाहिक ‘रामायण’ के लिए ऑडिशन दिया था, तो घरवालों ने इसका विरोध किया था। वे उनके इस फैसले के पक्ष में नहीं थे। उनका मानना था कि राम के किरदार में टीवी पर आने के बाद अरुण को कॉमर्शियल सिनेमा में नुकसान होगा। उधर रामानंद सागर ने उन्हें भरत या फिर लक्ष्मण के किरदार की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि वे राम की ही भूमिका निभाएंगे। बता दें कि मेरठ अरुण गोविल का गृह जनपद है। ऐसे में उम्मीद है कि जनता उन्हें अपना भरपूर प्यार और सहयोग देकर रामराज की पुर्नस्थापना का मौका देगी।
विक्रम बेताल से बनाई थी अलग पहचान
गौरतलब है कि अरुण गोविल ने थिएटर और बॉलीवुड में भी अभिनय किया है। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत स्कूल के दिनों में की थी। गोविल मेरठ के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज की ड्रामेटिक सोसायटी के भी सदस्य रहे। 1970 के दशक में अभिनय के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए जब वे मुंबई पहुंचे तो राजश्री प्रोडक्शन ने उन्हें 1977 में अपनी फिल्म ‘पहेली’ में बतौर सहायक अभिनेता काम करने का मौका दिया। कुछ ही साल बाद राजश्री प्रोडक्शन ने अपनी तीन फिल्मों में अरुण गोविल को लीड एक्टर के तौर पर लिया। इनमें ‘सावन को आने दो और सांच को आंच नहीं’ फ़िल्में उस वक्त काफी चर्चित हुई थीं। वहीं ‘विक्रम बेताल’ में शानदार अभिनय कर गोविल ने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी।
‘रामायण’ सीरियल के करीब 30 ‘साल बाद अरुण गोविल ने एक बार फिर से थियेटर की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने 2019 में अतुल सत्य कौशिक के लिए ‘द लीजेंड ऑफ रामः एक शब्द, एक बाण, एक नारी’ नाटक में मंच पर श्रीराम का अभिनय किया। इस नाटक के लास्ट में अरुण गोविल एक संवाद बोलते हैं- ‘प्रजा के हित के आगे राजा शून्य हो जाता है।’ मंच पर उनका यह संवाद राजनीति में एक नेता के लिए कड़ा संदेश है। अब ये देखना है कि सियासी पारी में वह इस संवाद को किस तरह से अपने जीवन में उतार पाते हैं।
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