आजकल की बिगड़ी जीवनशैली अधिकतर लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। इससे एक तरफ जहां कई बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ नींद में भी खलल पड़ रहा है, जिससे आपकी सेहत बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। सोने की आदतों में बदलाव आने से कई तरह के डिसऑर्डर बढ़ने का भी खतरा बना रहता है। इनमें से एक है स्लीप पैरालिसिस।
इस डिसऑर्डर के बढ़ने से कभी-कभी आपको डरावनी चीजें दिख सकती हैं, जैसे सोते समय ऊंचाई से गिरना, गहरे पानी में डूबना या आपके किसी करीबी की मौत हो जाना आदि। हालांकि ये काफी नॉर्मल होता है लेकिन कुछ लोगों के लिए ये एक गंभीर समस्या बन सकता है। स्लीपिंग डिसऑर्डर के गंभीर होने पर व्यक्ति को लगता है जैसे कि उसकी छाती पर कोई बैठ गया है यानी कोई उसे तेजी से दबा रहा है या फिर वह बोल नहीं पा रहा है। आइए जानते हैं इस बीमारी के खतरे के बारे में…
स्लीप पैरालिसिस क्या है?
दरअसल ये एक तरह का स्लीपिंग डिसऑर्डर है, जिसमें ऐसा महसूस होता है कि आप नींद से बाहर आ चुके हैं और कोई काम करने में असमर्थ हैं। इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को ऐसा लगता है कि लाख कोशिशों के बावजूद वह अपना हाथ-पैर तक नहीं हिला पा रहा है। सरल शब्दों में कहें तो इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों का दिमाग जाग चुका होता है लेकिन शरीर सो रहा होता है। यह समस्या गहरी नींद में जाने से पहले या नींद खुलने के कुछ देर पहले देखने को मिल सकती है। आमतौर पर ये समस्या किशोरावस्था में देखने को मिलती है।
स्लीप पैरालिसिस की वजह
- स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव
- नशीली चीजों का सेवन’
- बहुत ज्यादा तनाव
- पैनिक डिसऑर्डर की समस्या
- नींद की कमी
- दिमाग पर ज्यादा प्रेशर डालना
ऐसे करें स्लीप पैरालिसिस से खुद का बचाव
- सोने से दो घंटे पहले फोन न देखें
- नींद से समझौता न करें, 7-8 घंटे तक भरपूर सोएं
- कम रोशनी और शांत वातावरण वाला बेडरूम बनाएं
- दिमाग को शांत और एकाग्र बनाने के लिए मेडिटेशन करें
- सोने-जागने का वक्त एक जैसा रखें
- रोजाना एक्सरसाइज करें.
- शराब, सिगरेट या कैफीन वाली चीजों का सेवन न करें
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