लखनऊ। माफिया मुख्तार अंसारी की मौत का सच गहराता जा रहा है। AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसीऔर स्वामी प्रसाद मौर्य मुख्तार के घर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के प्रमुख स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुख्तार परिवार से मुलाकात के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर हमला बोला। स्वामी प्रसाद ने कहा कि मामले की असली सच्चाई जनता के सामने लाने के लिए हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज से जांच कराई जानी चाहिए। इसके अलावा स्वामी प्रसाद ने यह भी चिंता जताई कि सपा प्रमुख आजम खान के साथ कुछ अनहोनी हो सकती है।
यूपी सरकार पर साधा निशाना
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिस तरह से मुख्तार अंसारी के परिजनों ने उन्हें जहर देकर मारने का आरोप लगाया है, वो बहुत ही गंभीर आरोप है। सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मुख्तार अंसारी पांच बार के विधायक हैं और उनके परिवार के कई लोग मौजूदा समय में विधायक और सांसद हैं। अगर उनका आपराधिक चरित्र है और उन्हें दंड दिया जाना है तो यह न्यायपालिका का काम है, लेकिन यह सरकार न्यायपालिका का भी काम करने लगी है। पुलिस हिरासत में मौतों को लेकर लगातार सरकार पर उंगली उठ रही है। जेल और थानों में मौतें क्यों हो रही है। स्वामी ने कहा कि भाड़े के गुंडे किराए पर बुलाकर पुलिस हिरासत में अपराधी को मरवा देना या जेल की सलाखों में उसे जहर देकर मरवा देना या फिर किसी बहाने से थाने लाकर उसकी बीमारी का बहाना बनाकर उसे मौत के घाट उतार देना। ये सब कहीं न कहीं सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
नेक दिल इंसान थे मुख्तार अंसारी: स्वामी प्रसाद मौर्य
पूर्व मंत्री और नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अगर कानून मुस्तैद रहे तो आपराधिक घटनाएं नहीं होगी। अगर सरकार अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहती है, तो न्यायपालिका अपना कर्तव्य निभाना शुरू कर देगी। वह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके साथी स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर लग रहे आरोपों की जांच हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज से करने की मांग की है। मुख्तार के बारे में उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी एक नेक दिल इंसान थे। उनके अंतिम संस्कार में बहुत सारे लोगों का शामिल होना भी उनकी लोकप्रियता का संकेत है। किसी भी अंतिम संस्कार में भीड़ को आमंत्रित नहीं किया जाता है। उन्होंने गरीबों के सुख-दुख में साथ दिया। उन्हें आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के हमलों का सामना करना पड़ा। उनके खिलाफ ज्यादातर मामले हिरासत में रहने के दौरान ही दर्ज किये गये थे। उन्होंने मेडिकल टीम पर भी आरोप लगाया।
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