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जुदा है सीतापुर के वोटरों का अंदाज, जो पसंद आया उसे पलकों पर बैठाया, वरना जब्त हुई जमानत

सीतापुर

 उत्तर प्रदेश की जनता का सांसद चुनने का अंदाज एकदम अलग है। यहां की जनता जिसे पसंद करती है उसे पलकों पर बैठाती है लेकिन जिसे नहीं पसंद करती है, उसकी जमानत तक जब्त करा देती है। अब तक के लोकसभा चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो 194 में से 155 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो चुकी है, जिनमें प्रमुख सियासी दलों के दिग्गज भी शामिल हैं।

सीतापुर। पहले लोकसभा चुनाव में एक सीट पर दो सांसद चुनने का प्रावधान था, लिहाजा कांग्रेस के परागी लाल और उमा नेहरू सांसद निर्वाचित हुए। ये व्यवस्था 1957 के चुनाव में लागू थी। ऐसे में छह उम्मीदवारों ने यहां से चुनावी दंगल में हिस्सा लिया, लेकिन जीत कांग्रेस के परागी लाल और उमा नेहरू को मिली। वहीं तीन प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। 1962 में हुए आम चुनाव में पांच प्रत्याशियों ने ताल ठोंकी, जिनमें से कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह 34.03 फीसदी वोट पाकर रनर रहे। वहीं तीन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद 1967 में हुए चुनाव में सात प्रत्याशी मैदान में थे। इस चुनाव में कांग्रेस के जगदीश चंद्र दीक्षित 29.42 फ़ीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि पांच उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। 1971 के लोकसभा चुनाव में 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस साल भारतीय जनसंघ के जयनारायण को 33.92 फीसदी वोट मिले, जिससे उनकी जमानत बच गई जबकि आठ उम्मीदवारों की जमानत तक नहीं बची। 1977 के चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। इस साल पांच प्रत्याशियों में से कांग्रेस के जगदीश चंद्र दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें 27.24 फ़ीसदी मत मिले जबकि तीन उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई।

इसके बाद साल 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में 11 प्रत्याशी मैदान में उतरे। इनमें से दूसरे और तीसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी को छोड़कर बाकी सभी की जमानत जब्त हो गई। वहीं 1984 के चुनावी दंगल में 11 कैंडिडेड मैदान में थे, जिनमें से 25.08 फीसदी मत हासिल पर दूसरे नंबर पर रहने वाले एलकेडी के हरगोविंद को छोड़कर कोई भी अपनी जमानत नहीं बचा सका। इसके बाद आया 1989 के चुनावों का दौर। इस चुनाव में छह धुरंधरों ने ताल ठोंकी, इसमें दूसरे व तीसरे नंबर के प्रत्याशी को छोड़कर बाकी तीन की जमानत जब्त हो गई। 1991 का चुनाव 17 प्रत्याशियों के बीच लड़ा गया। इसमें कांग्रेस की राजेंद्र कुमारी बाजपेई ही अपनी जमानत बचा पाईं। उन्हें 22.85 फीसदी वोट मिले जबकि 15 अन्य प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। 1996 में 33 प्रत्याशी चुनावी दंगल में थे।

इस साल रनर भाजपा व तीसरे नंबर पर रहे बसपा के उम्मीदवारों को छोड़कर बाकी सभी की जमानत जब्त हो गई थी। 1998 का चुनाव नौ उम्मीदवारों के बीच लड़ा गया। रनर बसपा व तीसरे नंबर पर रहे सपा प्रत्याशियों को छोड़कर अन्य छह उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। 1999 में 14 प्रत्याशी मैदान में थे। इसमें बीजेपी व सपा उम्मीदवारों को छोड़कर सभी जमानत जब्त हो गई थी। 2004 में 16 प्रत्याशियों में से दो को छोड़कर कोई भी अपनी जमानत नहीं बचा सका था। इसके बाद 2009 और 2014 के चुनाव में 16-16 उम्मीदवार मैदान में थे। 2009 में 31.42 फीसदी वोटों के साथ रनर रहे सपा के महेंद्र वर्मा और 2014 में 35.69 फीसदी मत हासिल कर रनर रहने वाली बसपा की कैसर जहां छोड़कर अन्य प्रत्याशी अपनी जमानत गंवा बैठे थे। 2019 में 12 धुरंधर आमने-सामने थे। इस साल सपा गठबंधन के नकुल दुबे ही जमानत बचा सके थे।

1996 में 30 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी

1996 एक ऐसा साल था जब सीतापुर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 30 प्रत्याशियों ने जमानत गंवाई थी। इस साल कुल 33 प्रत्याशी मैदान में थे और सपा उम्मीदवार मुख्तार अनीश ने 30.42 फ़ीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। वहीं भाजपा के जनार्दन मिश्रा 28.36 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर और बसपा के प्रेमनाथ 24.17 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। इसके अलावा अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।

यह दिग्गज भी नहीं बचा सके थे जमानत

कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व एमएलसी पंडित रामगोपाल मिश्रा 1996 में हुए आम चुनाव में महज दस फ़ीसदी मत पाकर चौथे नंबर पर रहे। 1998 में उत्तर प्रदेश के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री डॉ अम्मार रिजवी को 10.17 एवं 1999 के चुनाव में 15.98 फीसदी वोट मिलते और वे अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। 2004 में राजा महमूदाबाद अमीर मोहम्मद खान इस सीट से कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़े और चौथे स्थान पर रहे। पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रामलाल राही भी 2009 के चुनाव में जमानत नहीं बचा सके थे।

ये है जमानत गंवाने का गणित

आपको बता दें कि प्रत्याशी को जमानत बचाने के लिए कुल मतदान का 16.66 ( 1/6 हिस्सा ) वोट प्राप्त करना आवश्यक होता है। किसी प्रत्याशी को अगर कुल मतदान का छठा हिस्सा यानी 16.66 फीसदी वोट नहीं मिलता है तो उसकी नामांकन के समय जमा की गई जमानत राशि तक जब्त हो जाती है। इसी को जमानत जब्त होना कहते हैं।

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Author: nyaay24news

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