लखनऊ। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर चुकी है। वहीं विपक्षी पार्टियां अभी उम्मीदवार तलाशने में ही व्यस्त हैं। सपा हो, बसपा हो या फिर कांग्रेस तीनों प्रमुख दल अभी कई सीटों पर उम्मीदवारों का चयन तक नहीं कर सके हैं। वहीं सपा और बसपा अपने-अपने फैसलों में ही उलझे नजर आ रहे हैं।
गुटबाजी का सामना कर रही सपा
पहले चरण के मतदान में अब दो हफ्ते से भी कम का समय बचा है लेकिन अभी तक सपा-बसपा की तरफ से पश्चिमी यूपी में कोई रैली या जनसभा नहीं की गई है। वहीं कांग्रेस भी बेहद सुस्त दिखाई दे रही है। सपा जहां टिकटों की अदला-बदली में व्यस्त है। वहीं बसपा अभी तक कई सीटों पर उम्मीदवार ही नहीं तय कर पाई है। वहीं पीडीए का दम भरने वाली सपा को गुटबाजी का भी खूब सामना करना पड़ रहा है। अखिलेश उम्मीदवार के नाम का ऐलान करते हैं लेकिन स्थानीय नेताओं के दबाव में आकर उन्हें अपने ही फैसले को बदलना पड़ रहा है।
बसपा को नहीं मिले रहे उम्मीदवार
गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव वेस्ट यूपी में अब तक मुरादाबाद, रामपुर, बागपत, मेरठ, बिजनौर, गौतमबुद्ध नगर, बदायूं और मिश्रिख सीट से उम्मीदवार बदल चुके हैं। इनमें से कुछ सीटें तो ऐसी हैं जहां उन्होंने दो-दो बार उम्मीदवार बदले। जैसे मिश्रिख, गौतम बुद्ध नगर और अब मेरठ से दो बार प्रत्याशी बदले गए हैं। वहीं बदायूं में प्रत्याशी को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ ऐसा ही हाल बसपा का भी है। दरअसल, मायावती ने इस बार अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है लेकिन अब पार्टी को उम्मीदवार तक नहीं मिल पा रहे हैं। यही वजह है कि उन्हें उम्मीदवारों का चयन करने में मुश्किल आ रही है।
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