Follow us

लोहिया की धरती पर सपा को जीत की दरकार, पार्टी के गठन के बाद से अब तक एक बार भी नहीं चख सकी है जीत का स्वाद

लोहिया

 उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा का गठन प्रख्यात समाजवादी डॉ. राम मनोहर लोहिया के सिद्धांतों से प्रेरित होकर हुआ था लेकिन विडंबना देखिये कि उन्हीं की जन्मस्थली यानी अकबरपुर जिसे अब अंबडेकर नगर के नाम से जाना जाता है। इस सीट से पार्टी को लोकसभा चुनाव में जीत की जबरदस्त दरकार है। दरअसल, पार्टी गठन के बाद से लेकर अब तक सपा का एक भी उम्मीदवार इस सीट से संसद तक का सफर तय नहीं कर पाया है।

अंबेडकरनगर। अब तक के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो पार्टी गठन के बाद हुए सात आम चुनावों में सपा चार बार दूसरे स्थान तक आई, लेकिन जीत का स्वाद एक बार भी नहीं चख सकी। हालांकि 2004 में हुए उपचुनाव में सपा को जरूर जीत मिली, लेकिन इसे बसपा प्रमुख द्वारा बार-बार जीत के बाद भी सीट छोड़ने की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा गया। बता दें कि समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया की जन्मस्थली अकबरपुर जो अब अंबेडकर नगर है। यहीं से लोहिया के सिद्धांतों ने वैचारिक क्रांति की अलख जगाई, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी। उनके समाजवादी आदर्श को दुनिया भर के कई देशों में अपनाया गया, लेकिन डॉ. लोहिया का नाम लेकर आगे बढ़ी समाजवादी पार्टी को यहां से एक बार भी जीत मयस्सर नहीं हुई।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1992 में गठन के बाद सपा ने पहला आम चुनाव साल 1996 में लड़ा था तब पार्टी ने अकबरपुर सुरक्षित संसदीय सीट पर अयोध्या (तत्कालीन फैजाबाद) जिले के कद्दावर दलित नेता अवधेश प्रसाद को टिकट दिया था। दरअसल उस वक्त डॉ. लोहिया की धरती पर सपा ने बड़े चेहरे को उतार कर मजबूत संदेश देने का प्रयास किया था। वहीं अवधेश प्रसाद भी पूरे दमखम से चुनाव लड़े लेकिन बसपा से 24,567 मतों से हार गए। उन्हें 1,69,046 वोट मिले। वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में सपा के डॉ. लालता प्रसाद कनौजिया 2,38,382 मत के साथ दूसरे स्थान पर रहे। 1999 में राम पियारे सुमन 2,06,376 मत के साथ और 2004 के आम चुनाव में शंखलाल मांझी 2,66,750 मत के साथ दूसरे स्थान पर रहे।

इस चुनाव के बाद हुए परिसीमन में जिले की इकलौती सीट अकबरपुर सुरक्षित से बदलकर सामान्य श्रेणी कर दी गई और जिले का नाम भी बदलकर अंबेडकरनगर कर दिया गया। सामान्य सीट पर हुए पहले लोकसभा चुनाव में सपा जीत से दूर रही। इस सीट से इस बार भी पार्टी ने शंखलाल मांझी को चुनाव मैदान मे उतारा था लेकिन 2,36,751 वोटों के साथ वे बसपा के राकेश पांडेय से 22,736 वोटों से पिछड़ गए। बस गनीमत ये रही कि इस बार सपा को सबसे कम मतों से हार मिली।

इसके बाद आया 2014 का आम चुनाव। इसमें भी सपा ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर फिर से जीत के लिए जोर लगाया, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही था। पार्टी ने इस सीट से पूर्व मंत्री राम मूर्ति वर्मा को टिकट दिया, लेकिन वे तीसरे स्थान पर खिसक गए। 2019 के चुनाव में सपा खुद यहां चुनाव नहीं लड़ी। गठबंधन के चलते यह सीट बसपा के खाते में थी और रितेश पाण्डेय ने जीत दर्ज की थी। हालांकि रितेश पांडे इस बार भाजपा के टिकट से इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं सपा से पूर्व मंत्री लालजी वर्मा मैदान में हैं।

इसे भी पढ़ें- Meerut Lok Sabha Election 2024: सपा ने फिर बदला उम्मीदवार, मेरठ से अब इन्हें दिया टिकट

इसे भी पढ़ें- यूपी की अनोखी राजनीति, पिता सपा के टिकट पर, तो बेटा कांग्रेस से ठोंकेगा ताल

nyaay24news
Author: nyaay24news

disclaimer

– न्याय 24 न्यूज़ तक अपनी बात, खबर, सूचनाएं, किसी खबर पर अपना पक्ष, लीगल नोटिस इस मेल के जरिए पहुंचाएं। nyaaynews24@gmail.com

– न्याय 24 न्यूज़ पिछले 2 साल से भरोसे का नाम है। अगर खबर भेजने वाले अपने नाम पहचान को गोपनीय रखने का अनुरोध करते हैं तो उनकी निजता की रक्षा हर हाल में की जाती है और उनके भरोसे को कायम रखा जाता है।

– न्याय 24 न्यूज़ की तरफ से किसी जिले में किसी भी व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया गया है। कुछ एक जगहों पर अपवाद को छोड़कर, इसलिए अगर कोई खुद को न्याय 24 से जुड़ा हुआ बताता है तो उसके दावे को संदिग्ध मानें और पुष्टि के लिए न्याय 24 को मेल भेजकर पूछ लें।

Leave a Comment

RELATED LATEST NEWS