चाहे वह गांधी परिवार की बहु मेनका गांधी हो या फिर बसपा के संस्थापक कांशीराम, जनता दल के शरद यादव हों या फिर आम आदमी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे डॉ. कुमार विश्वास। इन नेताओं को अमेठी की जनता ने ऐसा नकारा कि वे पलट कर दोबारा से अमेठी में आए ही नहीं। ऐसा भी कह सकते हैं कि इन सभी की जमानत जब्त हो गई थी।
अमेठी। गांधी परिवार का गढ़ रही उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट का अपना एक अलग मिजाज है। सियासत की जंग हो या फिर कुछ और यहां की जनता ने हमेशा कुछ नया किया है, लेकिन आज हम बात करेंगे सिर्फ सियासत की। अमेठी की जनता ने कभी जीत का रिकॉर्ड बनवाया तो कभी सियासी सूरमाओं को ऐसा सबक दिया कि वह अपनी जमानत तक नहीं बचा सकें। यहां तक कि दिग्गज नेताओं को भी अमेठी की जनता ने नहीं बक्शा।
चाहे वह गांधी परिवार की बहु मेनका गांधी हो या फिर बसपा के संस्थापक कांशीराम, जनता दल के शरद यादव हों या फिर आम आदमी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे डॉ. कुमार विश्वास। इन नेताओं को अमेठी की जनता ने ऐसा नकारा कि वे पलट कर दोबारा से अमेठी में आए ही नहीं। ऐसा भी कह सकते हैं कि इन सभी की जमानत जब्त हो गई थी।वर्ष 1967 में अस्तित्व में आई अमेठी का पहला चुनाव कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी ने जीता था। इस चुनाव में छह उम्मीदवारों में से चार की जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद हुए 1971 में हुए चुनाव में जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस के विद्याधर को छोड़कर मैदान में उतरे चार अन्य प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। 1977 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय लोकदल के रवींद्र प्रताप सिंह और कांग्रेस के संजय गांधी के साथ ही दो और नेता चुनाव मैदान में थे। इनमें रवींद्र प्रताप और संजय गांधी को छोड़ कर दो अन्य को हार के साथ जमानत तक गंवानी पड़ी थी।
शरद यादव भी नहीं बचा सके जमानत
वर्ष 1980 के चुनाव में 12 उम्मीदवार अमेठी से मैदान में थे। इसमें से कांग्रेस के संजय गांधी ने 57.11 फीसदी वोटों के साथ जीत दर्ज की थी। बाकी दस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। संजय गांधी की विमान हादसे में मौत के बाद 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी ने जीत हासिल की थी। राजीव गांधी के सामने मैदान में उतरे लोकदल के शरद यादव जमानत तक नहीं बचा सके थे। उन्हें महज 21 हजार 188 वोटों से ही संतोष करना पड़ा।
राजीव के खिलाफ मेनका ने लड़ा चुनाव
वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव का किस्सा तो बेहद ही दिलचस्प है। इस चुनाव में कुल 7 लाख 40 हजार 782 मतदाता थे, जिनमें से चार लाख 36 हजार 263 वोटरों ने प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला किया था। इस चुनाव में वैसे तो 31 उम्मीदवार मैदान में थे लेकिन, मेन मुकाबला कांग्रेस के राजीव गांधी और निर्दलीय मेनका गांधी के बीच था। ये दोनों ही उम्मीदवार गांधी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। दरअसल, पति संजय गांधी की मौत के बाद जेठ राजीव गांधी के खिलाफ मेनका गांधी यहां से चुनाव मैदान में थी। उन्होंने यहां काफी मेहनत की थी। वे गांव-गांव गई थीं और लोगों से मिली थीं, लेकिन, परिणाम अलग था। इस चुनाव में राजीव गांधी को जीत मिली। वहीं मेनका गांधी को 50 हजार 163 वोट मिले। इसके साथ ही मेनका गांधी समेत 30 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
कांशीराम ने गंवाई जमानत
बोफोर्स मामले के बीच वर्ष 1989 में हुए आम चुनाव को राजनीति का सबसे अहम चुनाव माना जाता है। इस चुनाव में अमेठी के मौजूदा सांसद रहे राजीव गांधी के खिलाफ 47 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन राजीव को छोड़कर बाकी सबकी जमानत जब्त हो गई थी। जमानत गंवाने वालों में बसपा संस्थापक कांशीराम भी शामिल थे। इसके बाद 1991 में 40, 1996 में 44, 1998 में 10, 1999 में 25, 2004 में 10 की प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई।
सिर्फ जीते उम्मीदवार की बची जमानत
साल 2009 के आम चुनाव में कुल 16 प्रत्याशी मैदान में थे। उस वक्त कुल 6 लाख 46 हजार 650 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। इसमें से चार लाख 64 हजार 195 वोट पाकर जीतने वाले राहुल गांधी ही अपनी जमानत बचा सके थे। बाकी सभी की जमानत जब्त हो गई थी। वर्ष 2014 के चुनाव में 35 प्रत्याशी चुनावी रण में थे। इस साल कुल आठ लाख 74 हजार 625 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था। इस साल कांग्रेस के राहुल गांधी व भाजपा की स्मृति जुबिन इरानी को छोड़कर बाकी सबकी जमानत जब्त हो गई थी। जमानत गंवाने वालों में आम आदमी पार्टी के डॉ. कुमार विश्वास भी थे। वर्ष 2019 के चुनाव में 28 में से 26 उम्मीदवारों ने जमानत गंवाई।
विधानसभा चुनाव में 40 नेताओं की जब्त हुई जमानत
लोकसभा के अलावा विधान सभा के चुनाव में भी अमेठी ने रिकॉर्ड बनाया है। अमेठी में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में किस्मत आजमाने वाले 48 प्रत्याशियों में महज रनर व विनर को छोड़ 40 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। जिले में भाजपा इकलौती ऐसी पार्टी बनी थी, जिसके प्रत्याशी सभी सीट पर अपनी जमानत बचाने में सफल हुए थे। तिलोई में कांग्रेस, बसपा व आप, जगदीशपुर में बसपा, सपा व आप, अमेठी में कांग्रेस, बसपा व आप, गौरीगंज में कांग्रेस, बसपा व आप के उम्मीदवारों की जमानत नहीं बच पाई थी।
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