लखनऊ। सपा विधायक आशुतोष मौर्य ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ दिया है। उनके इस कदम से बदायूं लोकसभा सीट पर समीकरण प्रभावित होना तय माना जा रहा है। इस सीट से पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव चुनाव मैदान में हैं। बता दें कि आशुतोष मौर्य ने राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। वहीं अब उनकी पत्नी बिल्सी नगर पालिका परिषद की पूर्व चेयरमैन सुषमा मौर्य और बहन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चंद्रा ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
उल्लेखनीय है कि फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव में सपा के कुल सात विधायकों ने बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, जिनमें आशुतोष मौर्य भी शामिल थे। आशुतोष के अलावा मनोज पांडेय, अभय सिंह, राकेश सिंह, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी और राकेश पांडेय ने भी क्रांस वोटिंग की थी। इसके बाद से ही भाजपा इन विधायकों को अपने पक्ष में करने की योजना पर काम कर रही है। हालांकि, यह बात और है कि दल-बदल कानून के कारण ये विधायक आधिकारिक तौर पर सपा छोड़ने का ऐलान नहीं कर रहे हैं। वहीं सपा ने भी उन्हें पार्टी से न निकालने का फैसला किया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों को पार्टी से निकालने पर उन्हें अभयदान मिल जाएगा, जो सपा बिल्कुल भी नहीं करना चाहेगी।
इधर, एक खास रणनीति के तहत डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने आशुतोष मौर्य के परिवार को लखनऊ में भाजपा में शामिल करा दिया। बताया जा रहा है कि आशुतोष मौर्य भी बदायूं में समाजवादी पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं। वे इन दिनों पूरी तरह से बगावती तेवर अपना चुके हैं, लेकिन विधायकी जाने के डर से खुद सपा से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। बता दें कि आशुतोष मौर्य बदायूं लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बिसौली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। इस सीट पर यादव, मुस्लिम और मौर्य समीकरण प्रभावी माने जाते हैं। यहां मौर्य और शाक्य मतदाताओं की संख्या दो लाख से अधिक है
पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा के टिकट पर संघामित्रा मौर्या ने जीत दर्ज की थी। इस बार बीजेपी ने बदायूं से दुर्विजय सिंह शाक्य को टिकट दिया है। ऐसे में साफ है कि आशुतोष मौर्य और उनके परिवार के भाजपा में जाने से मौर्य-शाक्य बिरादरी के बीच पार्टी की स्थिति मजबूत होगी। भाजपा की रणनीति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है संघमित्रा का टिकट कटने के बाद भी पार्टी ने उन्हें अपने साथ जोड़े रखा है जबकि, संघमित्रा के पिता व पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार भाजपा के खिलाफ जहर उगल रहे हैं और हिन्दुत्व के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर रहे हैं।
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