आगरा। आगरा में 50 करोड़ रुपये की जमीन हड़पने के लिए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के आरोप में मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। साथ ही तत्कालीन रजिस्ट्रार, क्लर्क और सेनेटरी इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया। यह कार्रवाई जिलाधिकारी के आदेश पर नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने की।
जगदीशपुरा थाना क्षेत्र के बोदला-खटाईन रोड पर बैनारा फैक्ट्री के पास करीब 10 हजार वर्ग मीटर खाली जमीन सरदार टहल सिंह के नाम है। इस जमीन पर कब्जा करने के लिए केयर टेकर रवि कुशवाहा ने अपने साथियों के साथ मिलकर साजिश रची। आरोपियों ने टहल सिंह का झूठा मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार किया। इसके साथ ही एक महिला को फर्जी तरीके से जमीन का वारिस घोषित करा दिया। एसआईटी की जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया।
बताया जाता है कि टहल सिंह 18 मार्च को आगरा आए और अपने जीवित होने का प्रमाण दिया। मामले में पुलिस ने फ्रीगंज निवासी किशन मुरली (उर्फ मोहित कोशवाहा), स्टेशन रोड के धर्मेंद्र (उर्फ बाबा), कालिंदी विहार की उमा देवी, रवि कोशवाहा, उनके भाई शंकरिया और शहर के रहने वाले ताहर सिंह को जेल भेज दिया है।उल्लेखनीय है कि पंजाब के रहने वाले सरदार टहल सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र 4 जुलाई 2019 को जारी किया गया था।
किशन मुरली (उर्फ मोहित) ने टहल सिंह के भतीजे के रूप में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। अन्य लोगों में किशोरपुरा निवासी दीनानाथ के पुत्र रवि कुशवाह, किशोरपुरा निवासी सरला देवी पत्नी गणेश शर्मा और सोला वैली गली निवासी कांशीराम के पुत्र दीनानाथ ने गवाही दी। टहल सिंह का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम द्वारा जारी किया गया था।
इसी के आधार पर तहसील से वारिसान प्रमाण पत्र बना। मामला सामने आने के बाद वारिसान की आख्या देने वाली लेखपाल आरती शर्मा को निलंबित कर दिया गया है। तहसीलदार के स्थान पर हस्ताक्षर करने वाले नायाब तहसीलदार अभय प्रताप सिंह के खिलाफ भी विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कराने के मामले में तत्कालीन सेनेटरी सुपरवाइजर ओमप्रकाश, सफाई निरीक्षक रोहित सिंह, झूठी गवाही देने वाले किशन मुरारी, सरला देवी और दीनानाथ के खिलाफ मामला दर्ज कराया जा चुका है। इसके अलावा जन्म-मृत्यु लिपिक रागिनी शिवहरे के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है।
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