इस बार भी अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है। यह सीट कांग्रेस का पुराना गढ़ है और यहां से हमेशा गांधी परिवार का दबदबा रहा है। अमेठी में गांधी परिवार के बारे में कई दिलचस्प कहानियां। 1977 के बाद से पिछले 47 सालों में जितने भी लोग चुनाव मैदान में उतरे, सबका नाता गांधी परिवार से रहा है। संजय गांधी ने पहली बार 1977 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा था। दूसरे शब्दों में कहें तो अमेठी में गांधी परिवार की चुनावी राजनीति 1977 में ही शुरू हुई। हालांकि इस चुनाव में उन्हें भारतीय लोक दल के रवींद्र प्रताप सिंह से हार का सामना करना पड़ा था। रवींद्र प्रताप सिंह ने ये चुनाव करीब 76, 000 वोटों के अंतर से जीता था।
राजीव गांधी ने लगातार चार बार दर्ज की जीत
इसके बाद 1980 के चुनाव में संजय गांधी ने दोबारा अमेठी से चुनाव लड़ा और उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी जनता पार्टी के उम्मीदवार रवींद्र प्रताप सिंह को शिकस्त दी। संजय गांधी ने यह चुनाव लगभग 100, 000 वोटों के अंतर से जीता। संजय गांधी के निधन के बाद 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी यहां से चुनाव मैदान में उतरे और अपना पहला चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे एक के बाद एक चुनाव जीतते गए। चाहे वह 1984 हो या फिर 1989। इनमें सबसे अहम 1989 का चुनाव रहा। यह बोफोर्स मामले को लेकर सुर्खियों में रहा। यही नहीं, 1991 में राम लहर के बाद भी राजीव गांधी ने जीत दर्ज की थी। हालांकि मतदान के ठीक एक दिन बाद बम विस्फोट में उनकी मौत हो गई थी। हालांकि, 1984 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार के सामने नई चुनौतियां आई थीं।
मेनका गांधी को करना पड़ा हार का सामना
अमेठी सीट पर उनके सामने उनकी भाभी मेनका गांधी चुनाव मैदान में थी, लेकिन मेनका गांधी को इस चुनाव में हार मिली और राजीव गांधी ये चुनाव लगभग 3.10, 000 वोटों के अंतर से जीत गए। इसके बाद हुए 1989 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार का एक नया चेहरा अमेठी में नजर आया। ये थे महात्मा गांधी के पोते राज मोहन गांधी। इन्हें जनता पार्टी ने टिकट दिया, लेकिन राज मोहन गांधी चुनाव हार गए और राजीव गांधी ने एक बार फिर करीब दो लाख के अंतर से चुनाव जीत लिया। 1991 में राजीव गांधी लगातार चौथी बार इस सीट से जीते, तब उन्होंने अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी रवींद्र प्रताप सिंह को हराया था। राजीव गांधी ने यह चुनाव लगभग 1.1 लाख वोटों के अंतर से जीता। इसके बाद 1999 में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ा और करीब तीन लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
राहुल को सौंपी जिम्मेदारी
2004 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने अमेठी की विरासत की जिम्मेदारी अपने बेटे राहुल गांधी को सौंपी। इसके बाद राहुल गांधी ने 2004, 2009 और 2014 में लगातार तीन बार अमेठी से चुनाव जीता। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी से हार गए। इस दौरान गोपाल स्वरूप गांधी ने 2014 और 2019 में अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, दोनों चुनावों में उनकी जमानत जब्त हो गई। 2014 के चुनाव में उन्हें 5, 467 वोट और 2019 के चुनाव में 1, 574 वोट मिले।
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