देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया लोकसभा सीट पर सातवें चरण में 1 जून को मतदान होने हैं, लेकिन यहां पर सियासी पारा गरमाया हुआ है। पिछले तीन चुनावों में यहां से बाहरी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की, लेकिन जनता इस बार उन्हें नकारने के मूड में है। इसे भांपते हुए बीजेपी ने इस सीट से पूर्व सांसद श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के बेटे शशांक मणि को टिकट दिया है। वहीं अखिलेश प्रताप सिंह कांग्रेस के टिकट से मैदान में हैं।
आपको बता दें कि देवरिया सीट पर पिछले दो बार से लगातार बीजेपी का कब्जा है। इससे पहले 2009 में ये सीट बसपा के कब्जे में थी। उस वक्त यहां से बसपा के टिकट पर गोरख जयसवाल ने जीत दर्ज की थी, लेकिन बाहरी होने के कारण वह जिले में कम ही नजर आते थे। इसके बाद 2014 के चुनाव में बीजेपी ने कलराज मिश्रा को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में उन पर कुछ लोगों के खास होने का आरोप भी लगा।
2019 के चुनाव में देवरिया की जनता ने एक बार फिर बीजेपी पर भरोसा जताया और रमापति राम त्रिपाठी को वोट देकर संसद भेजा, लेकिन धीरे-धीरे बीजेपी को इस बात का एहसास होने लगा कि रमापति राम त्रिपाठी भी बाहरी हैं। इसके बाद से पार्टी के ही कार्यकर्ताओं ने बाहरी उम्मीदवार के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। ऐसे में इस बार बीजेपी ने पूर्व लोकप्रिय सांसद श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के बेटे शशांक मणि को टिकट दिया है, शशांक न सिर्फ स्थानीय निवासी हैं बल्कि संगठन में अच्छा खासा प्रभाव भी रखते हैं।
इधर सपा-कांग्रेस गठबंधन में देवरिया की सीट कांग्रेस के हिस्से में है। कांग्रेस ने यहां से अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है, लेकिन वहां पर अभी तक पार्टी के किसी बड़े नेता ने अपनी मौजूदगी नहीं दर्ज कराई जिससे यहां के कार्यकर्ताओं में निराशा है। कई लोगों का मानना है कि अगर कांग्रेस ने यहां से अजय कुमार लल्लू या फिर ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को टिकट दिया है तो चुनावी गणित कुछ और ही होता है। अल्पसंख्यक वर्ग कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं ले पा रहा, उसे बसपा के प्रत्याशी का इंतजार है। बता दें कि बसपा ने इस सीट से अभी तक किसी को भी टिकट नहीं दिया है। बसपा प्रत्याशी के नाम का ऐलान होने के बाद ही इस सीट पर तस्वीर साफ़ हो पायेगी।
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