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मरीजों की मजबूरियों का फायदा उठाकर लाखों का खेल कर रहा हॉस्पिटल मैनेजमेंट?
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बीते दिनों कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर से हॉस्पिटल ने लूटे चार लाख
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कैबिनेट मंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से की थी मामले की शिकायत
लखनऊ। एक वक्त था जब लोग डॉक्टर को भगवान का दूसरा स्वरूप मानते थे, लेकिन बदलते वक्त के साथ कुछ संस्थानों ने मरीजों की मजबूरियों का ऐसा फायदा उठाया कि डॉक्टर भगवान की जगह शैतान कहे जाने लगे। ऐसा ही इन दिनों लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में देखने को मिल रहा है। वैसे तो ये संस्थान बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं प्रदान करने का दमदार दावा ठोकता है, लेकिन इस संस्थान के हवा हवाई दावों की पोल तब खुलकर सबके सामने आ गई जब योगी कैबिनेट में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने हॉस्पिटल मैनेजमेंट पर लाखों रुपए लूटने के आरोप लगा दिए। इतना ही नहीं कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने हॉस्पिटल की शिकायत भी स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से की जिसके बाद प्रदेश में इस हॉस्पिटल की खूब चर्चा हो रही है।
दरअसल योगी कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की मां की तबीयत नाजुक होने के चलते मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने अपनी मां को मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। मंत्री की 79 वर्षीय मां को अनियंत्रित मधुमेह, सांस लेने में तकलीफ, कम ऑक्सीजन और हाई बीपी के बाद आठ मार्च को मेदांता में भर्ती किया गया था। चार दिन के इलाज के हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने करीब चार लाख रुपये वसूले। इसके बाद भी 15 मार्च तक हालत में सुधार न होने पर उन्होंने अपनी मां को रेफर करवा लिया। दूसरे अस्पताल में इलाज के दौरान बृहस्पतिवार को उनकी मौत हो गई।
मंहगे इलाज और बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बावजूद जब मां ने दम तोड़ दिया तो मंत्री ओम प्रकाश राजभर पूरी तरह से टूट गए। इसके बाद मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने मेदांता हॉस्पिटल मैनेजमेंट पर न सिर्फ गंभीर आरोप लगाए बल्कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट की घटिया स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से भी पर्दा उठा दिया। वैसे ये पहला वाकया नहीं है जब मेदांता का घटिया इलाज किसी की मौत का गवाह बना हो, इससे पहले भी कई अनमोल जानें इस हॉस्पिटल के घटिया इलाज के चलते जा चुकी हैं। इससे पूर्व प्रतापगढ़ के पट्टी के रमईपुर बिसनी की रहने वाली 68 साल की कमला देवी को बेटी मीना पुष्पाकर ने 7 फरवरी को सीने में दर्द, उल्टी और खाना न हजम होने पर अस्पताल में भर्ती कराया था।
डॉक्टर ने बताया कि उन्हें किडनी की प्रॉब्लम है। इस पर उन्हें तत्काल भर्ती किया गया। शुक्रवार को ही उनकी एंजियोग्राफी कराई गई। अगले ही दिन उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन शाम 6 बजे बताया गया कि उनकी मौत हो गई, जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा काटा। इतना ही नहीं परिजनों ने अस्पताल पर 2.79 लाख का बिल बनाकर वसूली करने का आरोप भी लगाया। अब ऐसे में सवाल ये है कि जब चिकित्सक हैवान बनकर मरीजों की मजबूरियों का फायदा उठाकर अपनी जेबें भरने पर उतारू हो जायेंगे तो फिर स्वास्थ्य सेवाएं कैसे बेहतर हो सकती हैं..? फिल्हाल मेदांता न सिर्फ मौत का कुआं बन चुका है बल्कि संस्थान में तैनात चिकित्सकों की लोभी सोच और घटिया कार्यशैली भी जग जाहिर हो चुकी है।
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