ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह या पाप ग्रह कहा जाता है, जिस व्यक्ति पर राहु केतु की छाया पड़ती है उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। यही वजह है कि राहु-केतु जैसे ग्रहों का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं, लेकिन ज्योतिष की मानें तो राहु केतु से भी खतरनाक होते है शनि देव।
ज्योतिष शास्त्र में शनि को राहु-केतु से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है क्योंकि वे गलतियों की सज़ा बेरहमी से देते हैं, इसीलिए शनिदेव को दंड का देवता या न्यायाधीश कहा जाता है। शनिदेव हर किसी को उसके किए की सजा जरूर देते हैं। इसी कारण से कहा जाता है कि जिसकी कुंडली में शनि की महादशा हो या शनि की कुदृष्टि पड़ती है उसका कोई भी काम नहीं बन पाता है। ज्योतिष कहते हैं कि जब शनि की महादशा आए तो उचित कदम अवश्य उठाना चाहिए। आइए जानते हैं किन गलतियों से शनिदेव नाराज हो जाते हैं।
कलयुग के न्यायधीश है शनिदेव
ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव कलियुग के न्यायाधीश हैं जो न केवल इस जन्म में बल्कि अगले जन्म के भी बुरे कर्मों की सजा देते हैं। हालांकि शनिदेव को न्यायाधीश भी कहा जाता है क्योंकि वे अच्छे कर्मों पर अनुकूल परिणाम और बुरे कर्मों पर दण्ड देते हैं। शनिदेव को भगवान शिव ने नौ ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ और पृथ्वी का न्यायाधीश बनने का आशीर्वाद दिया था।
इन्हें देते हैं सजा
दूसरों का शोषण करना, नियमों की अनदेखी करना, कमजोरों और बेजुबानों को परेशान करना, महिलाओं का अपमान करना, दुराचार करना, झूठे बयान देना, पैसे का लालच – जो लोग अपनी शक्ति का इस्तेमाल दूसरों को नियंत्रित करने के लिए करते हैं व नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे लोगों पर शनि की बुरी छाया पड़ती है और शनिदेव उन्हें कड़ी सजा भी देते हैं।
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