लखनऊ। राजधानी के महानगर खंड में सहायक लेखाकारों की सांठगांठ से सात साल से बिल की रकम बैंक में जमा करने की आड़ में कैश की हेराफेरी की जा रही थी। इस हेराफेरी से यूपी पावर कॉर्पोरेशन को 82 लाख रुपये से ज्यादा की चपत लग चुकी है। इसमें से 52 लाख 55 हजार 422 रुपये की हेराफेरी करने का मामला अलीगंज थाने में 24 अप्रैल को दर्ज किया गया।
इस पूरे मामले में महानगर खंड का ऑडिट करने वाली टीम भी जांच के घेरे में आ गई है। इस खंड में सात साल से नियोजित तरीके से घोटाला किए जाने का ऑडिट में भी खुलासा न होना बड़ी बात है। इसे लेकर आडिट टीम पर सवालिया निशान उठ रहे हैं। वहीं, निदेशक वित्त ने एक्सईएन की संस्तुति के बाद भी अब तक महानगर के सहायक लेखाकार को निलंबित नहीं किया है। सहायक लेखाकार की तरफ से किए गए रकम के कलेक्शन एवं बैंक में जमा होने वाली रकम की जांच नहीं की गई। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
ऐसे होता रहा घोटाला
महानगर खंड के कर्मचारियों ने बताया कि कार्यकारी सहायक अजय कुमार वर्मा कैशियर के रूप में सहायक लेखाकार सोमिल गुप्ता से हर बार जितनी रकम बैंक में जमा करने ले गया, उसने कभी भी पूरी रकम खाते में जमा नहीं की। सहायक लेखाकार ने कभी भी कैश कलेक्शन एवं बैंक में जमा कैश का मिलान नहीं किया। अजय 20 अप्रैल को 16 से 19 अप्रैल के बिल के 25 लाख रुपये लेकर बैंक में जमा करने गया था, लेकिन वह ये रकम लेकर चंपत हो गया। इसके बाद हुई जांच में इस खेल से 82 लाख रुपये की हेराफेरी का पता चला है।
दोषियों को क्यों बचाते रहे अफसर
महानगर खंड में एक्सईएन आरके मिश्रा की तैनाती के दौरान भी तत्कालीन कैशियर ने कई राउंड कलेक्शन की रकम को बैंक में जमा करने के दौरान हेराफेरी की। एक्सईएन ने मुख्य अभियंता तक खूब पत्रचार किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे पहले अजय कुमार वर्मा ने मुंशी पुलिया खंड में 18 लाख का घपला किया था। वह दोषी होने के बाद भी इस पद पर काबिज है। इससे स्पष्ट है कि उच्च स्तर पर तैनात अफसर ऐसे दोषियों को बचा रहे हैं।
अब नकदी जमा करने की फिराक में अजय
52.55 लाख रुपये की नकदी लेकर चंपत हुआ अजय कुमार वर्मा अब कैश विभागीय खाते में जमा करने की फिराक में है उसने एक कर्मचारी को घर पर बुलाया था लेकिन उसने जाने से इन्कार कर दिया। दरअसल 24 अप्रैल को एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
सहायक लेखाकार की भूमिका संदिग्ध
अजय कुमार वर्मा ने 52 लाख रुपये बैंक में नहीं जमा कराये। इसके पीछे सहायक लेखाकार सोमिल गुप्ता की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। जब से अजय कैश लेकर गया है, तब से सहायक लेखाकार भी कार्यालय नहीं आ रहे हैं। उसे भी निलबित करने की संस्तुति मध्यांचल निगम के निदेशक को गई है, लेकिन बृहस्पतिवार तक उनका निलंबन नहीं हुआ।
भविष्य कुमार सक्सेना, एक्सईएन कहानगर खंड लेखाद्वारा गोमती जोन
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