लखनऊ। देश भर में आज लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण की वोटिंग हो रही है। वहीं उत्तर प्रदेश में होने वाले पांचवें चरण के मतदान में कई दिग्गज मैदान में होंगे। दरअसल, पांचवें चरण में यूपी में जिन 14 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति इरानी और कौशल किशोर की सीटें शामिल हैं। हालांकि सोनिया गांधी की रायबरेली लोकसभा सीट से लेकर ब्रजभूषण सिंह की कैसरगंज लोकसभा सीट को लेकर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वहीं, जिस रामनगरी से उपजी आस्था के रंग में देश रंगा है, उसकी सियासत का रंग भी इसी चरण में चढ़ना है। पांचवें चरण के चुनाव की अधिसूचना शुक्रवार को जारी होगी। इस चरण में लखनऊ, मोहनलालगंज, बाराबंकी, रायबरेली, अमेठी, फैजाबाद, गोंडा, कैसरगंज, कौशांबी, हमीरपुर, झांसी, फतेहपुर, जालौन और बांदा में मतदान होने हैं यानी इस चरण में अवध क्षेत्र से लेकर बुंदेलखंड तक में बूथ सजेगा और लोग अपना नेता चुनने के लिए घरों से निकलेंगे।
उल्लेखनीय है कि पिछली बार सपा-बसपा का गठबंधन होने के बावजूद भाजपा ने रायबरेली छोड़कर इस चरण की सभी सीटों पर कब्जा कर लिया था। अब देखना ये है कि क्या इस बार भी वह इस ट्रेंड को बरकरार रख पायेगी। मोहनलालगंज, बाराबंकी, फैजाबाद, जालौन, हमीरपुर, फतेहपुर, झांसी, बांदा, कौशांबी, गोंडा और कैसरगंज में अगर इस बार भी भाजपा जीतेगी तो वह हैट्रिक लगाएगी। लखनऊ में भाजपा साल 1991 से काबिज है। वहीं अमेठी में वह लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने की कोशिश करेगी। वहीं, विपक्ष की नजर भाजपा के जीत के इस रथ को रोकने की होगी। इसके लिए इस बार उम्मीदवारी में जातीय और सामाजिक समीकरणों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
इन सीटों पर है सबकी नजर
लखनऊ: राजनाथ बनाम रविदास
यूपी की राजधानी लखनऊ में बीजेपी ने करीब 35 साल तक राज किया है। पिछली बार भाजपा को यहां 2009 में थोड़ा चुनौती का सामना करना पड़ा था, जब लालजी टंडन और कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी के बीच मुकाबला हुआ था। इस मुकाबले में बीजेपी को महज 41,000 वोटों का अंतर से जीत मिली थी। वर्तमान में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 2014 से लखनऊ का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सपा-बसपा गठबंधन के बाद भी पिछले चुनाव में भी उन्होंने 3, 47,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इस बार लखनऊ मध्य से विधायक रविदास मेहरोत्रा सपा-कांग्रेस गठबंधन से इस सीट से चुनाव मैदान में हैं। वहीं बसपा ने सरवर मलिक टिकट दिया है।
रायबरेली: कौन होगा सोनिया का उत्तराधिकारी
गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली रायबरेली सीट पर 25 साल से लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा है। सोनिया गांधी 2004 से लगातार इस सीट से जीत रही हैं। पांचवे चुनाव में उनका सबसे छोटा जीत का अंतर 2019 में एक लाख 67 हजार था। सोनिया गांधी इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं। ऐसे में इस सीट पर भाजपा की उम्मीदें बढ़ गई हैं। कांग्रेस ने अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है। वहीं भाजपा ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि रायबरेली सीट से गांधी परिवार का ही कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा।
अमेठी: स्मृति बनाम राहुल या फिर कोई और
गांधी परिवार का लॉन्चिंग पैड रही अमेठी में इस बार मिजाज बदला हुआ नजर आ रहा है। एक समय था जब गांधी परिवार से पर्चा भरना यहां जीत की गारंटी होता था, लेकिन, 2014 में लोगों और खुद कांग्रेस का ये भ्र्म टूट गया। दरअसल, 2014 में राहुल गांधी को इस सीट से बमुश्किल ही जीत मिली थी। वहीं 2019 के चुनाव सपा-बसपा का साथ मिलने के बाद भी राहुल 55 हजार वोटों से हार गए थे। उन्हें भाजपा की स्मृति ईरानी ने हराया था। स्मृति इस बार भी भाजपा से उम्मीदवार हैं, जबकि कांग्रेस ने अभी तक इस सीट से किसी को भी मैदान में नहीं उतारा है। हालांकि वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे राहुल गांधी के यहां से पर्चा भरने के कयास बराबर लगाए जा रहे हैं। यही वजह है कि यहां भी हाई-प्रोफाइल मुकाबला होने के आसार हैं।
बाराबंकी: क्या बीजेपी की हैट्रिक रोक पाएंगे पुनिया?
राजधानी से सटी बाराबंकी की सियासत पर भी हर किसी की नजर है। इस सीट से पिछले दो चुनावों में लगातार जीत दर्ज कर रही बीजेपी इस बार हैट्रिक लगाने के मूड में है। यहां 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के साथ आने के बाद भी कमल खिला था। हालांकि, मौजूदा सांसद उपेंद्र रावत का अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद उनका टिकट काट दिया गया है। उनकी जगह राजरानी रावत बीजेपी उम्मीदवार हैं। कांग्रेस की तरफ से पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया मैदान में हैं। तनुज को यहां से पिछली बार 1.60 लाख वोट मिले थे। इस बार उन्हें सपा का भी साथ मिला है इसलिए उम्मीदें बढ़ी हैं, लेकिन उनके सामने इस बार बड़ी चुनौती है। इस बार उनका मुकाबला राज रानी रावत से है।
अयोध्या: समीकरण साधने में जुटा विपक्ष
साढ़े तीन दशक से देश की सियासत में अहम भूमिका निभाने वाली रामनगरी में इस बार भव्य राम मंदिर बन गया है और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भी हो गई है। राजनीतिक मंचों पर ये मुद्दा सबसे ज्यादा सुर्ख़ियों में रहा है, लेकिन विपक्ष यहां के समीकरण को दिलचस्प बनाने की कोशिश कर रहा है। यहां से भाजपा के टिकट से लल्लू सिंह लगातार तीसरी बार जीते थे। पिछली बार सपा के आनंद सेन यादव से वह 65 हजार से जीते थे। इस बार सपा ने यहां दलित चेहरे पर दांव लगाया है और नौ बार के विधायक अवधेश प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस बार सपा का फोकस भावनाओं की इस नगरी में सामाजिक समीकरण साधने की है।
कैसरगंज: बृजभूषण या कोई और तय नहीं कर पा रही बीजेपी
इस बार कैसरगंज सीट भी देश भर में सुर्ख़ियों में रही। वजह ये है कि मौजूदा बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह जो की कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी थे, पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। ये मुद्दा लंबे समय तक देश में सुर्ख़ियों में रहा। पहलवानों ने जंतर-मंतर से लेकर संसद तक उनके खिलाफ मोर्चा खोला। इसका नतीजा ये रहा कि बीजेपी अभी तक कैसरगंज सीट से उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। वहीं सपा भी भाजपा के पत्ते खोलने का इंतजार कर रही है। यहां की राजनीतिक स्थिति काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि ब्रज भूषण या उनके परिवार को टिकट मिलता है या नहीं क्योंकि लगातार तीन बार सांसद रहे बृजभूषण चाहे किसी भी पार्टी से रहे हों, हर बार उनकी जीत का अंतर बढ़ा ही है।
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