देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने शुक्रवार (26 अप्रैल) को विकराल रूप धारण कर लिया। आग इतना ज्यादा भयंकर थी कि इसकी लपटें नैनीताल की हाईकोर्ट कॉलोनी तक पहुंच गईं है। इस घटना से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। इधर आग पर काबू पाने के लिए नैनीताल प्रशासन ने वन विभाग के कर्मचारियों और सेना के जवानों को मौके पर बुलाया है। साथ ही हेलीकॉप्टरों को भी अलर्ट पर रखा गया है। अगर हालात काबू से बाहर होते हैं तो आग बुझाने में इन हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नैनीताल के जिला मुख्यालय के समीप लगी आग ने पाइंस इलाके में स्थित हाईकोर्ट कॉलोनी में रहने वालों के लिए मुश्किल पैदा कर दी है। इससे यहां का यातायात भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है “आग ने द पाइंस के पास स्थित एक पुराने और खाली घर को अपनी चपेट में ले लिया है। हालांकि इस आगजनी में अभी हाईकोर्ट कॉलोनी को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन यहां खतरा जरूर बढ़ गया है। यहां आग इमारतों के करीब पहुंचने लगी है। शाम से ही आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है।” आग के और ज्यादा विकराल होने की आशंका बढ़ गई है।
आशंका जताई जा रही है कि आग की लपटें पाइंस क्षेत्र में मौजूद सेना की लोकेशन तक भी पहुंच सकती हैं। जंगल में लगी आग की भयावहता को देखते हुए नैनीताल जिला प्रशासन ने नैनी झील में बोटिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे यहां घूमने आए सैलानियों में निराशा है। मौजूदा समय में नैनीताल प्रशासन के 42 कर्मी आग बुझाने के जुटे हुए हैं। नैनीताल के प्रभागीय वन अधिकारी बताते हैं कि आग बुझाने के लिए मनोरा रेंज के 40 कर्मियों और दो वन रेंजरों को तैनात किया गया है।”
उत्तराखंड के वन विभाग की मानें तो 24 घंटों में राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में जंगल में आग लगने की 26 और गढ़वाल क्षेत्र में पांच घटनाएं सामने आईं। आग लगने के चलते 33.34 हेक्टेयर वन क्षेत्र जलकर राख हो गया है। पिछले साल भी 1 नवंबर से राज्य में जंगलों में आग लगने की कुल 575 घटनाएं सामने आई थी। उस वक्त 689.89 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था। वहीं राजस्व को 14 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ था।
इसे भी पढ़ें- गृह मंत्रालय के आईटी डिपार्टमेंट में लगी आग, कई कंप्यूटर और दस्तावेज जले
इसे भी पढ़ें- खनिज भवन में आग लगने से जलकर राख हुईं कई अहम फ़ाइलें