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हमास-इजराइल युद्ध के बीच गर्मी ने बढ़ाई गाजा के लोगों की मुश्किल

Gaza

गाजा पट्टी। गाजा पट्टी में इजरायल की तबाही छह महीने से जारी है। हमास और इजराइल के बीच छिड़े युद्ध के बीच गाजावासियों की जिंदगी नर्क बन गई है। जनवरी-फरवरी की सर्दी में खुले आसमान में रात गुजारने की वजह से फ़िलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। वहीं अब जब मौसम गर्म हो रहा है तो गाजा में एक बार फिर से उथल-पुथल मच गई है। UN की एजेंसी UNRWA गाजा पट्टी में लू लगने से दो बच्चों की मौत हो गई है। UNRWA के कमिश्नर-जनरल फिलिप लाज़ारिनी ने एक बयान में कहा, “हमें रिपोर्ट मिली है कि गाजा पट्टी में गर्मी के कारण कम से कम दो बच्चों की मौत हो गई है।” उन्होंने कहा: “गज़ावासियों को और क्या सहना होगा मौत, भूख, बीमारी, विस्थापन और अब चिलचिलाती गर्मी में तंबू में रहना?”

गर्मी ने बढ़ा दी दिक्कत

इज़रायली हमलों और मानवीय सहायता पर प्रतिबंध के कारण गाजा पहले से ही बुनियादी वस्तुओं की कमी का सामना कर रहा है। युद्ध से विस्थापित दस लाख से अधिक लोग राफ़ा शहर के घनी आबादी वाले इलाके में रहने को मजबूर हैं। वहां इज़रायली सेना के हमले भी शुरू हो गए हैं। वहीं बढ़ते तापमान और बदलते मौसम ने अतिरिक्त परेशानी खड़ी कर दी है। यूएनडब्ल्यूआरए के बयान में कहा गया है कि बढ़ते तापमान ने गाजा में समस्याएं बढ़ा दी हैं, जहां हालात पहले से ही खराब थे।

85 प्रतिशत आबादी ने छोड़ा घर

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, छह महीने से अधिक समय तक चले इजरायली युद्ध के बाद, गाजा पट्टी का अधिकांश भाग नष्ट हो गया है। इसके अलावा, भोजन, साफ़ पानी और दवा की इज़रायली नाकेबंदी ने क्षेत्र की 85 प्रतिशत आबादी को अपने घरों से भागने और राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर कर दिया है।

गाजा की इन स्थितियों के कारण, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने इज़राइल पर नरसंहार का आरोप लगाया। जनवरी में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने तेल अवीव को नरसंहार रोकने और गाजा पट्टी में नागरिकों को मानवीय सहायता प्रदान करने का आदेश दिया।

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