लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोल्फ क्लब में खरीद, बिक्री, भुगतान और किराये में लाखों रुपये की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। वर्ष 2022 में करोड़ों के हेर फेर का मामला सामने आने के बाद सोसायटी के फर्मों और चिट फंड के डिप्टी रजिस्ट्रार ने अगस्त 2023 में सभी क्लब खातों के ऑडिट का आदेश दिया था। लगभग आठ महीने तक चली जांच के बाद, रिपोर्ट क्लब के वर्तमान पदाधिकारियों को सौंप सौंप दी गई। रिपोर्ट में तत्कालीन क्लब सचिव संदीप दास और संयुक्त सचिव लबीर सिंह विष्ट की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाये गए हैं। क्लब की प्रबंधन समिति ने दोनों पूर्व अधिकारियों को नोटिस जारी कर 5 मई तक जवाब देने को कहा है।
बताया जा रहा है कि 12 मई को क्लब की एक आम सभा बुलाई गई है। इसमें ऑडिट रिपोर्ट रखी जाएगी। साथ ही वित्तीय अनियमितता के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाये इस पर भी फैसला होगा। इस मामले से संबंधित सभी वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन किसी से भी संपर्क नहीं हो सका। रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 के लिए गोल्फ क्लब ऑडिट में धोखाधड़ी की पुष्टि हुई। उस वक्त संदीप दास क्लब के सचिव और लाबीर सिंह विष्ट संयुक्त सचिव के पद पर तैनात थे। कहा जा रहा है कि दोनों पदाधिकारियों ने मानकों की अनदेखी की और 2022 में कई सदस्यों की सदस्यता भी समाप्त कर दी। निष्कासित सदस्यों ने सितंबर 2022 में फर्म्स सोसायटी एवं चिटफंड में इसकी शिकायत भी दर्ज कराई थी।
निष्कासित सदस्यों द्वारा कई बार शिकायत दर्ज कराने के बाद डिप्टी रजिस्ट्रार लोकेश श्रीवास्तव ने 29 अगस्त, 2023 को गोल्फ क्लब के खतों को ऑडिट का आदेश दे दिया। हालांकि उनके इस ऑडिट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली। इसके पश्चात् सीए राम रतन गुप्ता ने दोनों वित्तीय वर्ष में खरीद-फरोख्त, भुगतान, सदस्यता और किराए समेत सभी बिंदुओं का ऑडिट किया और विगत 25 अप्रैल को ऑडिट रिपोर्ट क्लब की प्रबंधन कमेटी को सौंप दी गई।
ऑडिट में मिलीं ये गड़बड़ियां
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वर्ष 2021-22 में क्लब के लिए सामान की खरीद पर 93 लाख 92 हजार 798 रुपये और 2022-23 में 85 लाख 13 हजार 765 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जिसका कोई लेखा जोखा नहीं है।
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सोशल मीडिया मार्केटिंग के लिए बिना कोई एग्रीमेंट किये तीन लाख रुपये का भुगतान किया गया।
गोल्फ क्लब की संपत्ति का 3 लाख 75 हजार रुपए किराया मनमाने तरीके से माफ कर दिया गया।
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गोल्फ क्लब के दो करोड़ रुपयों का 4.50% सालाना ब्याज की दर से कोटक महिंद्रा बैंक में एफडी करवाई गई, जबकि इंडसइंड बैंक 6% तक ब्याज देने को तैयार था।
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वकीलों को एक लाख रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन इसका कोई बिल क्लब के पास नहीं है
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इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए गए 17 लाख रुपये पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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एक लाख रुपये से ज्यादा की खरीद के दस्तावेज नियमानुसार नहीं है।
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पैसे लेकर सदस्यता ट्रांसफर की गई, जो पूरी तरह से नियमों के खिलाफ नहीं है।
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क्लब की मासिक आय व्यय का कोई लेखा जोखा मैनेजिंग कमिटी के सामने नहीं रखा गया।
