मैनपुरी। यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट वैसे तो वीआईपी मानी जाती है लेकिन यहां के मतदाताओं के लिए यह बेहद साधारण है। यहां के लोगों के दिलों दिमाग में नेता जी यानी मुलायम सिंह यादव रचे बसे हैं। ऐसे में ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि इस बार के चुनाव में हवा का रुख किधर रहेगा। यहां सपा के टिकट से डिंपल यादव चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह से है। वहीं बसपा प्रत्याशी शिव प्रसाद यादव भी खुद को साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है यहां की जनता किसे सिर आंखों पर बैठायेगी और संसद भेजेगी।
1996 से है सपा का कब्जा
उल्लेखनीय है कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1996 से सपा का कब्जा है। सपा के संस्थापक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने यहां से पांच बार जीत दर्ज की और संसद तक का सफर तय किया। वर्ष 2022 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी बहू डिंपल यादव 2.88 लाख से अधिक मतों से जीतीं थीं। आइये जानते हैं आखिर ऐसा क्या रहा कि यहां की जनता और सपा नेता का प्रेम कभी खत्म नहीं हुआ। इस बारे में जब स्थानीय लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा, इसकी वजहें तो यहां के नजारे खुद बता देते हैं। ये क्षेत्र सीधे एक्सप्रेसवे से कनेक्ट है। मैनपुरी-शिकोहाबाद रोड हो या इटावा-कुरावली मार्ग सब बिल्कुल दुरुस्त है। यहां राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, सैनिक स्कूल, गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, आईटीआई और पॉलीटेक्निक आदि है जो युवाओं के करियर को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
भारी पड़ सकते हैं जयवीर सिंह
लोगों का कहना है कि न सिर्फ मैनपुरी, बेवर और भोगांव बस स्टैंड, बल्कि गांव-गांव तक 5.5 मीटर चौड़ी सड़कें खुद-ब-खुद यहां की विकास गाथा कह रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि मैनपुरी में हर कोई सपा का भक्त है। कहीं-कहीं इसका विरोध भी देखने को मिल रहा है। कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि सपा के सत्ता में आते ही यहां यादवों का आतंक बहुत बढ़ जाता है। चूँकि अभी प्रदेश में सपा की सरकार नहीं है जिससे जिले में अमन-चैन बरकरार है। कुछ लोगों का कहना है कि इस बार भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह भारी पड़ सकते हैं।
दरअसल, उपचुनाव में डिंपल यादव भोगांव विधानसभा क्षेत्र से भी 25 हजार वोटों से जीती थीं, जबकि यहां से विधायक भाजपा के हैं। उनका कहना है कि हम तो फूल के साथ हैं। सपा सरकार के समय का तमंचे का डर अभी भी जब तब जहन में आ जाता है और दिल में दहशत बैठ जाती है। सपा सरकार में पुलिस बुलाने पर भी नहीं आती थी।
इस बार कौन-कौन है मैदान में
सपा से डिंपल यादव मैदान में हैं
इस सीट से सपा-कांग्रेस गठबंधन के तहत सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैदान में हैं। यहां यादव वोट बैंक पर सपा की मजबूत पकड़ है। वहीं जसवंतनगर भी मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में शामिल है। जसवंतनगर यादव बहुल्य क्षेत्र है। मुलायम सिंह की पुत्रवधू होने के नाते डिंपल को इसका फायदा मिल सकता है। हालांकि बसपा ने इस सीट से शिवप्रसाद यादव को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में यादव वोटबैंक में सेंध लगने की भी संभावना है।
बीजेपी ने जयवीर सिंह को दिया है टिकट
बीजेपी प्रत्याशी जयवीर सिंह मौजूदा समय में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। उन्होंने मंदिरों का कायाकल्प कराया है। वे ठाकुर समुदाय से आते हैं। ऐसे में ठाकुर वोटबैंक उनके पाले में आ सकता है। हालांकि यहां उन्हें अन्य जातियों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले भाजपा यहां से शाक्य प्रत्याशी को मैदान में उतारती थी। ऐसे में जयवीर सिंह को शाक्य बिरादरी के मतदाताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
शिवप्रसाद यादव, बसपा
2014 के आम चुनाव के बाद बसपा ने इस सीट पर प्रत्याशी उतारा है। ऐसे में बसपा का काडर वोटर एकजुट हो सकता है। शिव प्रसाद यादव समुदाय से आते हैं जिससे वे यादव वोटबैंक में भी सेंधमारी कर सकते हैं। हालांकि वे औरैया जिले के रहने वाले हैं, जो मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा नहीं है। ऐसे में बाहरी होने का नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ सकता है। मैनपुरी से लंबे समय से प्रत्याशी नहीं उतारने से बसपा का वोटबैंक भी खिसका है, जिसे दोबारा से एकजुट करना बड़ी चुनौती है।
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