लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में नगर निगम ने साल 2009 में अकबरनगर के पास बंधे के किनारे भिक्षावृत्ति से जुड़े लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए शेल्टर होम का निर्माण कराया था, लेकिन लाखों की लागत से बना यह शेल्टर होम अब खंडहर बन चुका है। इसके साथ ही ये इलाका अवैध कब्जे की भेट भी चढ़ चुका है। यहां कार बाजार और बाइक वर्कशॉप भी खुल गई है। आपको बता दें कि नगर निगम ने महानगर वॉर्ड में 50 लाख रुपये की लागत से चार मंजिला कॉम्प्लेक्स का बनवाया था। हालांकि इसकी ऊपरी मंजिल अधूरी ही बन सकी थी।
बेसमेंट और पहली मंजिल की दुकानें किराए पर दी गई थीं, जो कुछ महीने बाद ही खाली हो गईं। इसके बाद साल 2011 में नगर निगम ने इस कॉम्प्लेक्स को शेल्टर होम बना दिया। इसके बाद यहां करीब दो साल तक भिखारियों को रखा गया और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन बाद में यह प्रक्रिया ठप हो गई। इसके बाद यहां अवैध कब्जे हो गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि शाम ढलते ही ऊपरी मंजिल पर अराजकतत्वों का जमावड़ा लगने लगता है। जब इस बारे में अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि रेंट विभाग से कॉम्प्लेक्स का पता कर इसका रखरखाव करवाया जाएगा।
नगर निगम के तीन महीने पुराने सर्वे पर गौर करें तो शहर में सबसे ज्यादा भीख मांगने वाले ट्रांस गोमती में हैं। ये डेटा स्मार्ट सिटी के तहत लगे आईटीएमएस कैमरों के माध्यम से तैयार किया गया था। इस डेटा के मुताबिक पॉलिटेक्निक, महानगर और मुंशीपुलिया चौराहों पर भिखारियों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसी तरह कपूरथला चौराहे पर भी भिखारियों ने अस्थायी डेरा बना रखा है। ये दिन में चौराहे के आसपास घूमकर भीख मांगते हैं और रात होते ही फुटपाथ पर सो जाते हैं।
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