बाराबंकी। बसपा ने 2004 में केवल एक बार बाराबंकी लोकसभा सीट जीती थी। इसके बाद से यहां पार्टी का जनाधार लगातार गिरता गया। पार्टी के पास अब इस क्षेत्र में पुराने बड़े नाम भी नहीं हैं। ऐसे में बसपा ने शिव कुमार डोला को टिकट दे दिया है। वह लखनऊ में रहते हैं। “बाहरी व्यक्ति” के रूप में उनकी स्थिति को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में यह चुनाव डोरा और बीएसपी के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।
कमला प्रसाद रावत ने दर्ज की थी जीत
उल्लेखनीय है कि 2004 में बसपा के गठन के बाद पहली बार पार्टी प्रत्याशी कमला प्रसाद रावत ने बाराबंकी सीट पर परचम लहराया था। उस वक्त कमला प्रसाद रावत को कुल 36.35% वोट मिले थे। जानकारों का कहना है कि यह सफलता उन्हें पार्टी के समर्थन के बजाय तत्कालीन मंत्री और भारतीय क्रांति दल के नेता बेनी प्रसाद वर्मा से मिले समर्थन के कारण मिली थी। दरअसल, तत्कालीन सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पूर्व कांग्रेसी रामसागर रावत को टिकट दिया था और बेनी प्रसाद ने उनसे किसी और को टिकट देने का आग्रह किया था लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई तो उन्होंने ऐलानिया कमला प्रसाद रावत को समर्थन दे दिया। इसका असर भी दिखा, लेकिन 2009 में जब कमला प्रसाद रावत दोबारा से बीएसपी प्रत्याशी बने तो उन्हें सिर्फ 21.05% वोट मिले। वहीं 2014 में उन्हें 15.65% वोट मिले थे। इससे पहले 1991 में पार्टी से विजय गौतम को 1,02,000 फिर पूर्व राज्यसभा सदस्य आनंद प्रकाश गौतम को महज ने 99000 मत मिले थे।
दूसरी पार्टियों में शामिल हुए बसपा नेता
इस बार के चुनाव में बसपा को अपनी पार्टी में कद्दावर नेताओं की कमी महसूस होगी। इस बार बसपा प्रत्याशी के नामांकन के दिन ही पार्टी की पूर्व विधायक मीता गौतम ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली। वहीं जिले में बसपा का खाता खोलने वाले पूर्व सांसद कमला प्रसाद रावत का निधन हो चुका है और उनके परिवारीजन भाजपा के समर्थक हैं। वे इस बार बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं। बसपा से विधायक रहे फरीद महफूज किदवई इस समय सपा से विधायक हैं। इसी तरह रामनगर से विधायक रहे अमरेश शुक्ला भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। पार्टी से एक और विधायक रहे संग्राम सिंह वर्मा भी अब सपा में हैं।
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