पुनीत मोहन
उत्तर प्रदेश के जौनपुर के बाहुबली नेता धनंजय सिंह को चुनावी मतगणना से पहले करारा झटका लगा है। दरअसल बसपा सुप्रीमो ने अचानक धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला का टिकट काट दिया है, जिससे धनंजय सिंह और उनके समर्थको में ख़ासा निराशा है। जेल जाने और आरोप सिद्ध होने से काफी समय पहले ही धनंजय सिंह ने इस बार जौनपुर लोकसभा सीट से मजबूती से चुनाव लड़ने का पूरा मूड बना लिया था। लोकसभा क्षेत्र में धनंजय की दमदार दस्तक विपक्षियों की नींद उड़ा रही थी। पूरे जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव से काफी पहले धनंजय के बड़े-बड़े पोस्टर चुनावी हवा को धनंजय की तरफ बता रहे थे। खुद धनंजय सिंह ज्यादा से ज्यादा समय जनता के बीच गुजार रहे थे। इसी बीच 5 मार्च 2024 को कोर्ट में एक मामले में उन पर आरोप तय होता है और 7 मार्च को उन्हें सजा हो जाती है हालांकि कुछ दिन बाद धनंजय को जमानत तो मिली लेकिन चुनाव लड़ने पर रोक से कोई राहत नहीं मिली। इसी बीच तमाम पार्टी के प्रत्याशियों के नाम की घोषणा हो जाती है और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री कृपा शंकर सिंह को बीजेपी जौनपुर से प्रत्याशी बनाती है।
मायावती ने श्याम सिंह को दिया चुनाव लड़ने का निर्देश
मामला एक तरफ़ा बीजेपी की जीत का लगता है क्योंकि गठबंधन के तहत सपा ने यहां से एनएचआरएम घोटाले के आरोपी बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। ऐसे में लग रहा था की बीजेपी के कृपा शंकर आसानी से चुनाव जीत जाएंगे, लेकिन इसी बीच बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो बड़ा दांव खेलती हैं और धनंजय सिंह की पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला को जौनपुर से बसपा का प्रत्याशी बना मामला त्रिकोणीय कर देती हैं। धनंजय समर्थक श्रीकला का प्रचार करना शुरू कर देते हैं। श्रीकला नामांकन करती हैं। इधर कुछ दिन बाद धनंजय सिंह को जेल से जमानत भी मिल जाती है। धनंजय सिंह की जमानत और उनका जेल से बाहर आना एक बार फिर से विपक्षियों की नींद उड़ाने वाला था, लेकिन रविवार की रात को 1 बजे बसपा सुप्रीमो का फोन जौनपुर से वर्तमान सांसद रहे श्याम सिंह यादव के पास पहुंचता हैं और उन्हें जौनपुर से चुनाव लड़ने का निर्देश दिया जाता है। आनन-फानन में श्रीकला का टिकट काटकर पार्टी का सिंबल और जरूरी कागजात श्याम सिंह यादव को मिल जाता है। इसके बाद आज नामांकन के अंतिम दिन श्याम सिंह यादव बसपा के टिकट से अपना नामांकन दाखिल कर रहे हैं।
धनंजय सिंह को मिली गहरी चोट
मायावती की इस राजनैतिक चाल ने धनंजय सिंह और उनके समर्थकों को गहरी चोट पहुंचाई। धनंजय सिंह जो 2022 के विधानसभा चुनाव से ही न जाने कितनी मुश्किलों का सामना करते हुए लेकिन अंत में जीतते हुए बाजीगर की भूमिका में नजर आ रहे थे। बसपा सुप्रीमो के जौनपुर में प्रत्याशी बदलने को लिए गए फैसले से बैकफुट पर आ गए। हालांकि रास्ता श्रीकला के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ने का भी था लेकिन उन्होंने मना कर दिया। बसपा सुप्रीमो के अचानक धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला के टिकट काटने से चर्चाओं का बाजार गर्म है। बसपा सुप्रीमो ने अचानक ये फैसला क्यों लिया यह बात लोग समझ नहीं पा रहे। सोशल मीडिया पर श्रीकला के टिकट कटने की बात पर लोग तरह-तरह का कमेंट कर रहे हैं। किसी का कहना है कि बीजेपी प्रत्याशी को जिताने के लिए ऐसा किया गया। बसपा भाजपा की बी पार्टी है। श्रीकला के चुनावी मैदान में आने से बीजेपी प्रत्याशी को सीधा नुकसान था, तो वहीं कुछ लोग कह रहे कि श्याम सिंह यादव का बसपा के प्रति समर्पण काम आया। उनके बारे में अफवाह थी की वो गठबंधन में जा रहे हैं।
अधूरा रह गया धनंजय सिंह का सपना
अखिलेश यादव से उनकी बात भी हो गई थी, राहुल गांधी की पैदल यात्रा में भी वो नजर आए थे लेकिन श्याम सिंह यादव ने बसपा का साथ नहीं छोड़ा और श्रीकला का टिकट होने पर भी कोई विरोध नहीं किया, जिसके चलते बहनजी ने उन पर लगे आरोपों को गलत पाया और उन्हें एक बार फिर से मौका दिया। वहीं कुछ लोगों का कहना है की श्रीकला के बसपा कैंडिडेट होने से पिछड़े व यादव वोट पार्टी को न मिलते इसलिए ऐन वक्त पर बहनजी ने प्रत्याशी बदला। फ़िलहाल आखिर जौनपुर से बसपा सुप्रीमो ने श्रीकला का टिकट क्यों काटा ये बात तो सिर्फ मायावती और श्याम सिंह यादव ही बेहतर जानते हैं, लेकिन टिकट काटने के बाद श्रीकला का निर्दलीय पर्चा न दाखिल करना लोगों को और सोचने पर मजबूर कर रहा है। सूत्रों की मानें तो एक राजनैतिक दल के किसी बड़े नेता का फोन धनंजय सिंह के पास आया, उसके बाद ही श्रीकला का टिकट कटने पर न तो विरोध हुआ और न ही निर्दलीय पर्चा दाखिल किया गया। फिलहाल धनंजय सिंह की आगे की रणनीति क्या है ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बार फिर इस बार के लोकसभा चुनाव में अपना न सही पत्नी के जीतकर संसद पहुंचने और जौनपुर की जनता का सेवा करने धनंजय सिंह का सपना अधूरा रह गया।
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