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स्मार्ट सिटी होने के बाद भी लखनऊ के लोगों को खुद ही करनी पड़ रही है पानी की व्यवस्था 

PANI KI TNKI
  • 52% इलाके में नहीं है पाइन लाइन

  • बजट के अभाव में अटकीं चार हजार करोड़ की परियोजना

  • शहर में 3000 किमी बिछाई जानी है लाइन

  • 02 नए जलकल बनाए जाने हैं सिटी वाटर एक्शन प्लान में गया है प्रोजेक्ट, मंजूर होना है बजट

लखनऊ। वैसे तो यूपी की राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी का तमगा मिल चुका है लेकिन अभी भी आधे से ज्यादा शहर में जलसंकट हमेशा बरकार रहता है। यहां लोगों को पानी को पानी की व्यवस्था खुद ही करनी पड़ती है। शहर के 52 फ़ीसदी इलाके में सरकारी पेयजल के लिए पाइपलाइन तक नहीं है। सीमा विस्तार के बाद करीब 20 लाख की आबादी को पीने का पानी का इंतजाम खुद करना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिए योजनाएं तो बन चुकी हैं और शासन को भेजी भी जा चुकी हैं लेकिन बजट जारी न होने के चलते अभी तक काम नहीं शुरू हो सका है। ऐसे में गर्मी में भी लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ेगा। एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान विगत दो मई को उच्च न्यायालय ने फिर नगर निगम से इस मामले में जवाब तलब किया। ऐसे में अब नगर निगम व जल निगम कोर्ट को  जवाब देनी की तैयारी कर रहा है।

आंकड़ों पर गौर करें तो सीमा विस्तार के बाद शहर की आबादी लगभग 40 लाख हो गई है। पेयजल आपूर्ति की स्थिति के लिए, शहर के 48 फीसदी क्षेत्र पर लगभग 2,800 किमी पाइप बिछाई गई है। वहीं 52 फीसदी क्षेत्र को इससे बाहर रखा गया है। गोमती नगर के बीच स्थित नवाबपुरवा, ग्वारी, गड़रिया पुरवा, डिगडिगा गांव, गुलाम हुसैन का गांव, विजयपुर, रिशा, बिहारीपुर, उजरियाव, बेलहा गांव, जुगौली गांव,  कंचनपुर मटियारी, अमराई गांव, खरगापुर गाजीपुर गांव और इंदिरा नगर से सटे गांव टेकपुरवा आदि क्षेत्रों में पाइप लाइन नहीं बिछाई गई है। यहां लोगों ने खुद ही सबमर्सिबल पंप लगाकर अपने-अपने घरों में पानी की व्यवस्था की है।

शहर के जिन हिस्सों में पाइपलाइन बिछी हैं वहां भी जरूरत के मुताबिक पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। जानकारी के अनुसार जब नदियों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती है, तो सिंचाई अधिकारी पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं करा पाते हैं। यहां अलीगंज, विकास नगर, इंदिरा नगर, आलमबाग, कानपुर रोड और आशियाना समेत कई इलाकों में जहां जलापूर्ति ट्यूबवेलों से होती है, वहां भूजल स्तर गिरने से ट्यूबवेल फेल हो रहे हैं।

बजट का है इंतजार 

अभी शहर के करीब 48 फीसदी हिस्से में ही सरकारी पेयजल की आपूर्ति  हो रही है, जो बाकी 52 फीसदी हिस्सा बचा है, उसमें पेयजल आपूर्ति के लिए 3000 किलोमीटर से अधिक पाइप लाइन बिछाए जाने की जरूरत है। इसके अलावा दो नए जलकर जो पहले से स्वीकृत है उनको भी बनाया जाना है। जल निगम में 4000 करोड़ की योजना तैयार कर प्लान भी सिटी वाटर एक्शन प्लान पोर्टल पर अपलोड कर दिया है। अब बजट मिले तो योजना पर काम शुरू हो।

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Author: nyaay24news

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