नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार सात मार्च को ईडी से कई सवाल किये। कोर्ट ने जांच एजेंसी से पूछा- केजरीवाल को गिरफ्तार करने में दो साल का समय क्यों लग गया। कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में ईडी की जांच में लिए गए समय पर भी सवाल उठाया और कहा कि चीजों को सामने लाने में उसने दो साल का समय क्यों लगाया। इस पर केंद्रीय जांच एजेंसी की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि उन पर इलेक्ट्रॉनिक सबूत नष्ट करने और 100 करोड़ रुपये हवाला के ज़रिए भेजने के आरोप हैं।
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की दलील पर कहा, 100 करोड़ प्रोसिड्स ऑफ क्राइम है, लेकिन घोटाले को 1100 करोड़ का बताया जा रहा है। इतनी बढ़त कैसे हो गई। ईडी ने कोर्ट में केजरीवाल की याचिका का विरोध करते हुए बताया कि उनका नाम केस की जांच के दौरान सामने आया। ईडी की तरफ से पेश वकील ने कहा जांच की शुरुआत में केंद्र में केजरीवाल नहीं थे। जब जांच आगे बढ़ी तो उनका नाम निकल कर सामने आया।
ईडी ने कहा- ये कहना सरासर गलत है कि हमने केजरीवाल को निशाना बनाने के लिए गवाहों से विशेष रूप से उनके बारे में सवाल किए, गवाहों की तरफ से मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए धारा 164 के बयान को देखा जा सकता है। ईडी की दलील पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सवाल किया कि आपने सभी पहलुओं को दर्ज करते हुए जो केस डायरी बनाई है, उसे हम देखना चाहते हैं। जजों ने कहा कि हमारे पास सीमित सवाल है। वह यह है कि क्या केजरीवाल को अरेस्ट करने के दौरान PMLA सेक्शन 19 का सही तरीके से पालन किया गया था?
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