बाराबंकी। राजधानी से सटे बाराबंकी जिले का सियासी माहौल इस समय काफी गरमाया हुआ है। इस जिले में बीजेपी हो, इंडिया गठबन्धन हो या फिर बसपा सभी के लिए 10 लाख से अधिक अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को साधना आसान नहीं है। बसपा काडर का वोट भी छिटकता हुआ नजर आ रहा। ऐसे में जिले में भाजपा के लिए हैट्रिक मुश्किल होगा। दरअसल, बाराबंकी संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें हैं।
यहां की दरियाबाद सीट अयोध्या लोकसभा क्षेत्र में आती है जबकि बाराबंकी सदर, कुर्सी, जैदपुर, रामनगर और हैदरगढ़ बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र में आती है। यहां साल 2022 के विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर सपा और दो सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा के कब्जे वाली तीन सीटों पर सपा प्रत्याशी ही बाजी मरेगा। चुनाव को लेकर चर्चाएं भी होने लगी हैं और मतदाता भी अब खुलकर अब अपने विचार रखने लगे हैं।
बाराबंकी के सदर विधानसभा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जातीय समीकरण की वजह से यह विधानसभा क्षेत्र भाजपा के लिए कभी मुफीद नहीं रहा है। इस बार भी कुछ ऐसा ही महसूस हो रहा है। लोगों का का कहना है कि हर चुनाव में खुलकर भाजपा के पक्ष में बोलने वाले पासी मतदाता इस बार खामोश हैं। 2019 का चुनाव हारने के बाद भी जनता से संवाद बनाए रखने वाले गठबंधन प्रत्याशी तनुज पुनिया को लेकर पहली बार पासी समाज के बीच चर्चा हो रही है जो हैरान करने वाला है। वजह साफ है कि पासी समाज हमेशा से बीजेपी का समर्थक रहा है।
मुकाबला रोचक बना सकते हैं पासी वोटर
जिले में मुस्लिम और यादव की संख्या को मिला दिया जाये तो करीब पौने छह लाख वोटर हैं। इसके साथ ही सपा-कांग्रेस गठबंधन की तरफ से कुर्मी और पासी वोट बैंक में भी सेंधमारी करने की कोशिश की जा रही है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। माना जा रहा है कि अगर कुर्मी और पासी वोट बैंक बंटा तो मुकाबला दिलचस्प हो जायेगा।
कुर्मी मतदाताओं में बिखराव
बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले कुर्सी और जैदपुर विधानसभा क्षेत्रों में भी कई स्थानों पर पासी और एससी जाति के लोगों के अलावा भाजपा का समर्थन करने वाले कुर्मी मतदाता भी बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। यहां के लोगों का कहना है कि लोकसभा भले ही सुरक्षित है, लेकिन विधानसभा में भी भाजपा द्वारा कुर्मी या फिर मौर्या बिरादरी के नेता को टिकट नहीं दिया जाता है। ऐसे में इस समाज में नाराजगी है।


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